बढ़ती उम्र के साथ ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या भी बढ़ती जा रही है। इस प्रकार की अर्थराइटिस में जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। इस स्थिति को सहज मेडिकल भाषा में ऑस्टियो अर्थराइटिस कहते हैं। सामान्यत: Middle Age यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इस बीमारी के होने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल जयपुर के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉक्टर अनूप झुरानी बता रहे हैं ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण, कारण और उपचार का तरीका।
ऑस्टियो अर्थराइटिस Categories Stage
Primary Stage ऑस्टियोअर्थराइटिस:- Primary stage होने पर व्यक्ति में बहुत हल्के और सामान्य लक्षण देखे जाते हैं। इसमें आमतौर पर आपको हड्डियों के जोड़ों के पास की हड्डी कुछ बढ़ी हुई लगती है यानि हड्डियों में असामान्य विकास ऑस्टियोअर्थराइटिस का पहला लक्षण है। आमतौर पर Primary stage ऑस्टियो अर्थराइटिस में दर्द नहीं होता है या बहुत कम और कभी-कभी होता है।
Secondary Stage ऑस्टियोअर्थराइटिस:- Secondary stage ऑस्टियोअर्थराइटिस में लक्षण और अधिक उभर आते हैं। जब जोड़ों पर कोई हड्डियां या कई हड्डियां ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई देती हैं, तो डॉक्टर एक्सरे द्वारा इसका पता लगाते हैं।Secondary stage ऑस्टियोअर्थराइटिस में आमतौर पर हड्डियों में उभार देखा जाता है मगर कार्टिलेज इस समय तक स्वस्थ होते हैं।
इस स्टेज में आमतौर पर जोड़ों में पाया जाने वाला सिनोवियल फ्लूइड भी पर्याप्त होता है जिससे आपको चलने-फिरने, उठने-बैठने और घुटनों को मोड़ने आदि में परेशानी नहीं होती है।
लेकिन Secondary stage के मरीजों को आमतौर पर ज्यादा चलने पर या ज्यादा मेहनत करने पर जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है या कई बार घंटों एक जगह बैठने के कारण और लेटने के कारण दर्द की शिकायत हो जाती है।
Tertiary Stage ऑस्टियोअर्थराइटिस:- ये बीच की यानि “मध्यम” स्टेज है। इस स्टेज में मरीज के कार्टिलेज थोड़ा-थोड़ा प्रभावित होने लगता है और हड्डियों के बीच की जगह सिकुड़ने लगती है। इस स्टेज के ऑस्टियोअर्थराइटिस के मरीजों को चलने-फिरने या झुकने के दौरान अक्सर ही दर्द की शिकायत रहने लगती है।
लंबे समय तक बैठे रहने के बाद अक्सर उनकी हड्डियां अकड़ जाती हैं। ज्यादा चलने और मेहनत करने के बाद जोड़ों में सूजन की समस्या भी देखी जा सकती है।
Quaternary Stage;- Quaternary Stage आते-आते ऑस्टियोअर्थराइटिस “गंभीर” रूप ले लेता है। स्टेज 4 के मरीजों को इस बीमारी में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है। इस स्टेज में मरीज के लिए चलना-फिरना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि अंगों को इधर-उधर हिलाने-डुलाने से ही तेज दर्द महसूस होता है। इस स्टेज में जोड़ों के बीच हड्डियों के बीच की जगह बहुत ज्यादा सिकुड़ जाती है और कार्टिलेज लगभग पूरी तरह खत्म हो चुके होते हैं। मरीज की हड्डियों के बीच सिनोवियल फ्लूइड भी बहुत कम हो जाता है। जिसके कारण हड्डियों के बीच की चिकनाई खत्म हो जाती है।
ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण
- जोड़ों में दर्द होना और जोड़ों में तिरछापन आना।
- चाल में खराबी और चलने-फिरने की क्षमता का कम होना।
- सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दिक्कत।

ऑस्टियो अर्थराइटिस की कराएं जांच
ऑस्टियो अर्थराइटिस की जांच बहुत आसान है। डॉक्टर द्वारा किए गए चेकअप और जोड़ों के डिजिटल एक्सरे से ही इस रोग का पता चल जाता है, कि आपको ये बीमारी है या नहीं। इसके लिए आप अच्छे डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
ऑस्टियो अर्थराइटिस का इलाज
- ऐसी नवीनतम दवाएं उपलब्ध हैं, जो कार्टिलेज को पुन: विकसित करने में सहायक हैं, जिन्हें ‘कार्टिलेज रीजनरेटर’ कहते हैं।
- जोड़ों के अंदर इंजेक्शन लगाते हैं, जिसे ‘विसको सप्लीमेंटेशंस’ कहते हैं। ऐसे इंजेक्शन से जोड़ों के ऑपरेशन को कुछ वक्त के लिए टाला जा सकता है।
- रोग की चरम अवस्था में पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण अत्यंत सुरक्षित और कारगर इलाज है।
ऑस्टियो अर्थराइटिस बचाव के उपाय
एक्सरसाइज करें
ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैसे एक्सरसाइज ऑस्टियो अर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होता है। सबसे पहले, यह जोड़ों के आसपास की पेशी का समर्थन मजबूत करता है। और जोड़ों में सुधार और जोड़ों की गतिशीलता बनाये रखता है। इसके अलावा एक्सरसाइज वजन कम करने में मदद करने के साथ सहनशीलता को भी बढ़ावा देता है। ऑस्टियो अर्थराइटिस होने पर तैरना विशेष रूप से अनुकूल होता है क्योंकि यह जोड़ों के लिए कम से कम तनाव प्रभाव का अभ्यास कराता है।
थेरेपी
दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक थेरेपी है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। यह थेरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है। ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या में आप टेन्स थेरेपी की मदद ले सकते हैं। इस थेरेपी में ऐसे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही थरमोथेरेपी की जा सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ों पर ठंडे या गर्म पैक को रखा जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।
मसाज
मसाज ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द में कमी लाने में बहुत फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (एनसीसीएम) द्वारा समर्थित एक शोध के अनुसार, स्वीडिश मसाज के एक सप्ताह के साठ मिनट सत्र को करवाने से घुटने के क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ लोगों की परेशानी में महत्वपूर्ण कमी पाई गई।
आहार है महत्वपूर्ण
भारतीय महिलाओं की खुद के प्रति पोषण की उदासीनता उनकी कई समस्याओं की जड़ है। नियमित पौष्टिक भोजन करके वे कई समस्याओं के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस को भी दूर रख सकती हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए अपने आहार में ग्लूकोसमीन और कोन्ड्रायटिन सल्फेट जैसे तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये हड्डियों और कार्टिलेज के अच्छे दोस्त होते हैं।