दिल्ली 1.53 लाख लोगों ने अपने हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजकर अपना समर्थन दिया
आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर मात्र 12 दिनों में 1.53 लाख लोगों ने अपने हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजकर अपना समर्थन दिया है. पार्टी का कहना है कि वह इस लड़ाई को बूथ स्तर पर ले जाकर अपने अभियान को मजबूती देगी. पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा, “पार्टी हस्ताक्षर अभियान में और तेजी लाने के लिए इस रविवार अपने सभी विधायकों की एक बैठक आयोजित करेगी.”उन्होंने कहा, “हमें 272 वार्डो तथा 70 विधानसभाओं से लगभग 1,52,000 हस्ताक्षर युक्त पत्र प्राप्त हुए हैं.” पार्टी ने एक जुलाई को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ हस्ताक्षर अभियान ‘दिल्ली मांगे अपना हक’ शुरू किया था. पार्टी ने इस मुद्दे पर 10 लाख परिवारों का समर्थन हासिल करने का लक्ष्य रखा था.
केंद्र और उप-राज्यपाल मिलकर दिल्ली सरकार की शक्तियों का हनन कर रहे
सर्वोच्च न्यायालय के चार जुलाई के आदेश पर संशय पर उन्होंने कहा कि न्यायालय ने यह नहीं कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए कि नहीं, बल्कि न्यायालय ने यह कहा है कि केंद्र और उप-राज्यपाल मिलकर दिल्ली सरकार की शक्तियों का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं. न्यायालय ने दिल्ली सरकार को तीन विभागों (पुलिस, भूमि और लोक आदेश) को छोड़कर अन्य सभी विभागों के कानून बनाने का अधिकार दिया है.
राय ने कहा, “दिल्ली सरकार योजनाएं बना सकती है, लेकिन इन्हें लागू करने के लिए नौकरशाहों के समर्थन की बहुत जरूरत है. लेकिन अधिकारी सरकार का आदेश नहीं मान रहे हैं. घर पर राशन आवंटन से लेकर बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने तक हर योजना बाधित हो रही है. राष्ट्रीय राजधानी के साथ ऐसा सलूक कहां तक उचित है?”
दिल्ली न तो एक राज्य है और न ही केंद्र शासित प्रदेश
- इसके तहत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT of Delhi) कहा गया है और इसके प्रशासक उपराज्यपाल है.
- दिल्ली की स्थिति अन्य राज्यों या केंद्र शासित क्षेत्र से अलग है.
- इमरजेंसी की स्थिति में उपराज्यपाल फैसले ले सकते हैं.
- अगर मंत्रिमंडल सरकार नहीं चला पा रहा है तो उपराज्यपाल राष्ट्रपति को इमरजेंसी लगाने की सिफारिश कर सकते हैं
- केंद्र शासित क्षेत्र होते हुए भी दिल्ली की अपनी विधानसभा है, जहां अन्य राज्यों की तरह सुरक्षित सीटों का प्रावधान है. विधायकों का चुनाव सीधे जनता करती है.
- दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली में भी मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल का प्रावधान किया गया है, जो विधानसभा के लिए सामूहिक रूप से ज़िम्मेदार होते हैं.
- दिल्ली में चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी निर्वाचन आयोग के पास है.
- निर्वाचित मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को उपराज्यपाल पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं.
- दिल्ली के उपराज्यपाल के पास अन्य राज्यपालों की तुलना में अधिक शक्तियां हैं.
- दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली के पास पुलिस,कानून-व्यवस्था और भूमि संबंधी अधिकार नहीं हैं.वह इनसे जुड़े कानून नहीं बना सकती है.
ये तीनों अधिकार केंद्र सरकार के पास हैं. - केंद्र और दिल्ली की सरकार अगर किसी एक मुद्दे पर कानून बनाती है तो केंद्र का कानून क्षेत्र में लागू होगा.
- अगर सरकार और उपराज्यपाल के बीच में कोई मतभेद होते हैं तो उपराज्यपाल राष्ट्रपति के पास मामला भेज सकते हैं.