प्रयागराज: रेलवे स्टेशन से लापता हुई 75 वर्षीय महिला, 3 महीने से बेटे-बहू कर रहे हैं तलाश
प्रयागराज, 8 अप्रैल 2025 – एक बेहद मार्मिक और चौंकाने वाली घटना प्रयागराज रेलवे स्टेशन से सामने आई है, जहाँ 75 वर्षीय वृद्धा बलमदीना मिंज अचानक लापता हो गईं। यह मामला न सिर्फ एक परिवार के टूटते हौसलों की कहानी बयां करता है, बल्कि रेलवे और सुरक्षा व्यवस्था की लापरवाही को भी उजागर करता है।
बलमदीना मिंज, जो उत्तम नगर, नई दिल्ली की रहने वाली हैं, 21 जनवरी 2025 को अपने बेटे एलेक्स मिंज (28 वर्ष) और ननद सुनीता लकड़ा (45 वर्ष) के साथ रांची से झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस में सवार हुई थीं। सभी लोग नई दिल्ली जा रहे थे। बलमदीना की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए पूरा परिवार साथ यात्रा कर रहा था ताकि उन्हें सहारा मिल सके।
ट्रेन जैसे ही प्रयागराज जंक्शन (पूर्व में इलाहाबाद) पर तड़के सुबह लगभग 4:30 बजे पहुँची, बलमदीना मिंज ट्रेन के एक डिब्बे में सीढ़ी के पास खड़ी थीं। उनके बेटे और बहू, लंबी यात्रा के कारण गहरी नींद में थे। इसी दौरान ट्रेन प्रयागराज से चल पड़ी, लेकिन जब एलेक्स और सुनीता की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि बलमदीना मिंज डिब्बे में नहीं हैं।
घबराए परिजनों ने किया चैन पुलिंग,
अपनी माँ को ट्रेन में न पाकर घबराए एलेक्स और सुनीता ने तत्काल ट्रेन की चैन पुलिंग की कोशिश की ताकि ट्रेन को रोका जा सके। लेकिन उनका यह प्रयास भी उन पर ही भारी पड़ गया। ट्रेन में मौजूद जीआरपी (Government Railway Police) और टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट एग्जीक्यूटिव) ने उन्हें न सिर्फ धमकाया बल्कि चैन पुलिंग पर जुर्माना लगाने की धमकी भी दी।
उनकी कोई भी बात न सुनी गई। मदद की आस लेकर दोनों ने बार-बार विनती की कि ट्रेन को रोका जाए क्योंकि एक बुजुर्ग महिला लापता है, लेकिन उनकी पुकार अनसुनी कर दी गई। नतीजतन, ट्रेन अपने अगले स्टेशन कानपुर तक पहुँच गई।
कानपुर से वापस लौटे प्रयागराज, पुलिस ने दिखाई CCTV फुटेज
कानपुर पहुँचने के बाद एलेक्स और सुनीता ने ट्रेन से उतरने का फैसला किया और तुरंत ही एक निजी वाहन से प्रयागराज वापस लौटे। वहां पहुंचकर उन्होंने जीआरपी को लिखित में प्रार्थना पत्र सौंपा और अपनी माँ की गुमशुदगी की जानकारी दी। इस पर प्रयागराज जीआरपी ने उन्हें स्टेशन परिसर के CCTV फुटेज दिखाए, जिसमें बलमदीना मिंज स्टेशन पर एक सीढ़ी के पास खड़ी हुई दिखाई दे रही हैं।
हालाँकि, इसके बाद उनका कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। न यह पता चल पाया कि वह ट्रेन से नीचे कब और कैसे उतरीं, न यह कि स्टेशन से बाहर गईं या किसी और ट्रेन में चढ़ गईं। कोई स्पष्ट क्लू पुलिस के पास नहीं है।
तीन महीने से दर-दर भटक रहा है परिवार
आज, 8 अप्रैल 2025 को जब संवाददाता ने एलेक्स और सुनीता से भेंट की, तो दोनों रोते-बिलखते मिले। उनकी आँखों में माँ के लिए चिंता, दर्द और सिस्टम से उपजे गुस्से की झलक साफ दिख रही थी। दोनों पिछले तीन महीनों से माँ की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं – कभी स्टेशन के आस-पास, कभी शहर के मंदिरों, अस्पतालों और आश्रमों में जाकर पूछताछ कर रहे हैं।
एलेक्स कहते हैं, “माँ बहुत सीधी और कमजोर हैं। चलने में भी कठिनाई होती है। हम सोच नहीं सकते कि वह इस भीड़भाड़ में अकेली कैसे खो गई होंगी। रेलवे ने अगर हमारी बात सुन ली होती और तुरंत ट्रेन रोकी जाती, तो शायद आज माँ हमारे साथ होतीं।”
रेलवे की लापरवाही और सवालों के घेरे में जीआरपी
इस पूरे घटनाक्रम ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और जीआरपी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहाँ एक ओर रेलवे यात्रियों की सुरक्षा का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर एक बुजुर्ग महिला के लापता हो जाने पर त्वरित कार्रवाई के बजाय उसके परिवार को धमकाया गया।
क्या चैन पुलिंग केवल नियमों के उल्लंघन के लिए है? क्या इंसानियत और सुरक्षा की कोई कीमत नहीं? क्या यह सिस्टम केवल जुर्माना वसूलने और नियम पढ़ाने के लिए बना है, जबकि आम जनता की समस्याओं की अनदेखी करता है?
अब तक क्या-क्या प्रयास किए गए?
- स्थानीय पुलिस और जीआरपी में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
- स्टेशन के आस-पास मंदिरों, धर्मशालाओं, अस्पतालों और वृद्धाश्रमों में जाकर खोजबीन की।
- सोशल मीडिया पर माँ की तस्वीर और जानकारी के साथ पोस्ट शेयर की।
- NGOs और लोकल मीडिया से संपर्क कर मदद मांगी।
- हालांकि इतने प्रयासों के बावजूद भी अब तक उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
परिवार की अपील – “बस माँ वापस मिल जाएं”
एलेक्स और सुनीता की सिर्फ एक ही अपील है – “अगर किसी को हमारी माँ दिखें या उनके बारे में कोई जानकारी हो, तो कृपया हमें तुरंत सूचित करें। वह पहचानने में आसान हैं – दुबली-पतली कद-काठी, सफेद बाल और माथे पर हल्का निशान है।”
उनकी अंतिम लोकेशन प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर सुबह 4:30 बजे के आस-पास की है। वे ट्रेन की सीढ़ी के पास खड़ी थीं। CCTV फुटेज में भी यही स्पष्ट है।
हमारी आपसे विनती
अगर आप प्रयागराज या उसके आस-पास के किसी क्षेत्र में रहते हैं, तो कृपया एक बार ध्यान से देखें। किसी वृद्ध महिला को अकेले घूमते देखें, तो नज़रअंदाज़ न करें। हो सकता है वह बलमदीना मिंज हों।
यह एक अपील है सिर्फ एक बेटे और बहू की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की जो अपने परिजनों से सच्चा प्रेम करता है। कल्पना कीजिए कि अगर आपके अपने लापता हो जाएं और सिस्टम आपकी कोई मदद न करे, तो आप पर क्या बीतेगी?
बलमदीना मिंज की यह कहानी केवल एक गुमशुदगी की घटना नहीं है। यह एक माँ, एक परिवार और एक सिस्टम की असफलता की दास्तान है। यह सवाल उठाता है कि क्या हमारे सिस्टम में मानवीय संवेदनाएं बची हैं? क्या ट्रेन में चैन पुलिंग करना वाकई अपराध है, जब आपके परिवार का सदस्य खो गया हो?
सरकार, रेलवे प्रशासन और स्थानीय पुलिस को चाहिए कि वे इस मामले को गंभीरता से लें, और जल्द से जल्द बलमदीना मिंज को खोजने में परिवार की मदद करें। जनता से भी अपील है कि वे जागरूक रहें और अगर कोई सुराग मिले, तो संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
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