अब भारत को क्या करना चाहिए ताकि उसकी आवाज सुनी जाए

Anchal Sharma
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भारत

चीन-पाकिस्तान का नया कदम क्या भारत के लिए संदेश है

दक्षिण एशिया में बहुत जल्द राजनीतिक परिदृश्य बदलने वाला है। क्योंकि चीन और पाकिस्तान मिलकर सार्क का विकल्प तलाशने के लिए नई चाल चल दी है। दोनों ही देश एक ऐसी योजना पर काम कर रहे हैं। जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में नया संगठन बनाना है। माना जा रहा है ये नया संगठन सार्क को दरकिनार कर खुद स्थापित होगा। कुछ दिन पहले चीन के कुनमिंग शहर में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की अहम बैठक हुई। बैठक में तीनों देश नया कूटनीतिक पैंतरा चलने वाले हैं। इस नए प्रोजेक्ट के पीछे चीन पूरी ताकत के साथ काम के रहा है। तो वहीं पाकिस्तान साथ देने में लगा हुआ है। बता दें कि सार्क की बैठक साल 2016 से नही हुई है। 2016 में जब सार्क की बैठक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होनी थी। तब जम्मू कश्मीर के उरी में आतंकी  हमला हुआ था।

बांग्लादेश ने क्यों दिखाई नए संगठन में दिलचस्पी

भारत के पड़ोसी देशों में पिछले कुछ सालों से बहुत कुछ घटा है। जिसका सीधा असर भारत पर भी देखने को मिला। बांग्लादेश में जब से सत्ता परिवर्तन हुआ, और युनुस मोहम्मद की अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली है। उसका झुकाव चीन और पाकिस्तान की तरफ ज्यादा हुआ हैं। बांग्लादेश की कट्टरपंथी सरकार ने अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ बर्बरता की। जिसका इशारा आईएसआई से मिला था। चीन को पता है कि बांग्लादेश वही करेगा जो इस्लामाबाद कहेगा। इसलिए चीन की कोशिश है कि बांग्लादेश को साथ लेकर एक नया संगठन बनाने से दक्षिण एशिया में प्रभुत्व बढेगा। अगर संगठन थोड़ा भी बड़ा होता है तो दक्षिण एशियाई देशों के अलावा मध्य एशियाई देश को मिलाकर मजबूत संगठन बनाया जा सकता है। वहीं इस पूरे मामले में भारत का रोल अभी दूर हैं। क्योंकि चीन और पाकिस्तान नए संगठन में भारत को शामिल करना नहीं चाहते।

पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की मीटिंग में क्या हुआ

चीन के द्वारा बनाए जा रहे नया संगठन स्वाभाविक रूप से सार्क ( South Asian Association for regional cooperation) की जगह ले सकता है। क्योंकि चीन सार्क का सदस्य नहीं है। सार्क संगठन में भारत के अलावा पाकिस्तान , अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, मालदीव,बांग्लादेश और श्री लंका हैं। चीन की मंशा है कि नया संगठन बनाकर सार्क के देशों को उसमें शामिल करके भारत और सार्क को कमजोर किया जा सके। क्योंकि सार्क के सभी देशों से चीन के आर्थिक और सामरिक संबंध अच्छे है। जिसका चीन फायदा उठाना चाहता हैं। जब चीन के कुनमिंग शहर में तीनों देशों की मीटिंग हुई थी। तब बांग्लादेश ने कहा था कि नए गठबंधन को लेकर ढाका जल्दबाजी में फैसला नहीं लेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम कोई नया गठबंधन नहीं बना रहे हैं। जब नया गंठबंधन बनेगा तो भारत को भी न्योता दिया जाएगा। वहीं श्री लंका, अफगानिस्तान और मालदीव ने नए संगठन पर दिलचस्पी दिखाई है। नए संगठन का मतलब आपसी व्यापार को बढ़ावा देना है। और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखना है।

SAARC कब बना, कौन से देश है शामिल

सार्क कभी दक्षिण एशिया का सबसे शक्तिशाली संगठन हुआ था। लेकिन अब इसके होने का कोई मतलब नहीं है। साल 2016 में इसका आयोजन इस्लामाबाद में होना था। लेकिन तभी जम्मू कश्मीर के उरी में आतंकी हमला हुआ था। जिसके बाद सार्क आयोजन रद्द करना पड़ा था। सम्मेलन में शामिल होने को लेकर पहले भारत ने इंकार किया था। फिर बांग्लादेश , भूटान और अफगानिस्तान ने भी जाने से मना किया था। सार्क का आखिरी बार आयोजन नेपाल के काठमांडू में साल 2014 में हुआ था। सार्क की नींव 1985 में रखी गई थीं।
सार्क संगठन में भारत के अलावा पाकिस्तान , अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, मालदीव,बांग्लादेश और श्री लंका हैं। सार्क का उद्देश्य दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय एकता और समृद्धि के लिए काम करना है।

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