अमरोहा में कांग्रेस का सियासी हल्ला बोल: किसानों की आवाज़ बनी विपक्ष की हुंकार

Aanchalik Khabre
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amroha me congress ka pradarshan

यूपी के अमरोहा में कांग्रेस का सियासी धमाका!

किसानों की आवाज़ बनकर सड़कों पर उतरी कांग्रेस – और सरकार के खिलाफ गरजा हल्ला बोल!

यूरिया की किल्लत, बिजली की कटौती और खेतों में पसरा सूखा… जब सत्ता मौन हो जाए, तो विपक्ष को बनना पड़ता है किसानों की आवाज़!


अमरोहा जिला मुख्यालय से बड़ी खबर

आज अमरोहा में जिला मुख्यालय पर कांग्रेस ने किया जबरदस्त प्रदर्शन। भारी संख्या में पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ता, किसान हित में गरजे, और सौंपा महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन।


नारे लगे – किसानों की मांगों के साथ सड़कों पर कांग्रेस

“किसान विरोधी ये सरकार, नहीं चलेगी – नहीं चलेगी!”
“यूरिया दो – बिजली दो – किसान को ज़िंदगी दो!”

कांग्रेस का कहना है कि यूपी का किसान बुरी तरह से बेहाल है। खरीफ की बुआई का समय चल रहा है – धान और गन्ने की फसल की तैयारी जोरों पर है, लेकिन खेतों में पानी नहीं, खाद नहीं, और बिजली के बिना अंधेरे में डूबे गांव।


कांग्रेस का बीजेपी सरकार पर सीधा हमला

कांग्रेस नेताओं ने सीधे तौर पर बीजेपी सरकार को घेरा।


जिला अध्यक्ष का बड़ा बयान

भाजपा सरकार किसानों की दुश्मन बन चुकी है। मुफ्त बिजली और आय दोगुनी करने का सपना दिखाया, लेकिन आज हालत ये है कि किसान खेत नहीं जोत पा रहा, यूरिया की लाइन में खड़ा है और जानवर उसकी फसल चर रहे हैं।


सरकार की नीतियों पर कांग्रेस का प्रहार

सड़कों पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार की नीतियों को बताया झूठ का पुलिंदा। कहा –

चुनाव से पहले किया वादा, आज बना धोखा!
जहां देखो वहां हाहाकार – कालाबाजारी चरम पर, किसानों को ना खाद मिल रही, ना बिजली और ना ही सुरक्षा!


किसान की पीड़ा – तस्वीरें कह रही हैं सब कुछ

  • किसान दुकानों के बाहर लंबी लाइन में खड़े…

  • खेतों में आवारा पशु चर रहे हैं…

  • गांव अंधेरे में डूबे हुए…

  • और चिलचिलाती गर्मी में पसीना बहाते प्रदर्शनकारी –

तस्वीरें बयां कर रही हैं किसानों का दर्द!


कांग्रेस की चेतावनी – अब आर-पार की लड़ाई

कांग्रेस ने चेताया
अगर सरकार ने अब भी किसानों की नहीं सुनी, तो कांग्रेस सड़कों से लेकर संसद तक बड़ा आंदोलन करेगी।


सवाल अब सरकार से है – क्या सुन रही है किसानों की चीख?

क्या सत्ता के गलियारों में बैठे नीति-निर्माताओं को सुनाई दे रही है किसानों की ये चीख?
क्या वो समझेंगे कि खेत सूखे हैं, उम्मीदें नहीं?

किसान पूछ रहा है – वादों का क्या हुआ?
कहां गई वो बातें, जो चुनावी मंचों से की गई थीं?

अब देखना है, क्या अमरोहा से उठी ये चिंगारी पूरे प्रदेश को जगा पाएगी, या फिर एक बार फिर किसान की आवाज़ सियासत की भीड़ में दबा दी जाएगी?

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