विवेक रंजन श्रीवास्तव-विनायक फीचर्स)
भाषा और संवेदना का गहरा संबंध
भाषा हमेशा से एक संवेदनशील विषय रहा है। देश को जोड़ने में हिन्दी के महत्व को समझते हुये ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाने की अपेक्षा की थी जबकि उनकी स्वयं की मातृभाषा गुजराती थी। राजनैतिक कारणों से स्वतंत्रता के बरसों बाद आज तक भी हिन्दी को हम राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित नहीं कर पाये हैं। त्रिभाषा फार्मूला, अंग्रेजी, राज्यों की स्थानीय भाषा हमेशा से हमारे देश में सियासत का हिस्सा बनी रही है। 1956 में राज्यों का पुनर्गठन ही भाषाई आधार पर किया गया था, इससे ही स्वतः स्पष्ट है कि भाषा का लोगों को जोड़ने में महत्व निर्विवाद है। बोली और लिखी जानी वाली भाषा से बढ़कर एक भाषा होती है संवेदना की भाषा। दुनियां की हर भाषा में बच्चा एक ही तरह से रोता है और सारे विश्व में मुस्कान से, चेहरे के हाव भाव, बॉडी लैंग्वेज से बिना बोले भी अपरिचित व्यक्ति भी, एक दूसरे की भाषा न समझने वाले लोग भी परस्पर आत्मीयता के भाव संप्रेषित कर लेते हैं। दुधमुहें बच्चे भी स्पर्श से ही प्यार या घृणा को सहज ही समझ लेते हैं।
डिजिटल युग में संवाद का नया तरीका
इंटरनेट ने हमारे परंपरागत संवाद करने के तरीके में विश्वव्यापी व्यापक बदलाव किया है। फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर, स्नैपचैट और इंस्टाग्राम या ऐसे ही अन्य ढ़ेरों एप आज सोशल संवाद के बड़े प्लेटफार्म बन चुके हैं। चूंकि बॉडी लैग्वेज और वर्बल स्वर हमारे टेक्स्ट मैसेजेज या ई-मेल में ट्रांसलेट नहीं होते, इसलिए इंटरनेट द्वारा सोशल मीडिया पर संवाद के लिये प्रचलित अर्थ व्यक्त करने के वैकल्पिक तरीकों का विकास हुआ।
इमोटिकॉन्स से इमोजी तक का सफर
ऑनलाइन स्टाइल में नई दुनिया की हाइरोग्लिफिक भाषाओं के अलावा कीबोर्ड के ही सहज सुलभ विराम चिह्न, लेटर्स और नंबर्स को चित्रमय आइकन बनाने के लिए उपयोग किया गया। यह 1982 की बात थी। इस तरह की अभिव्यक्ति को इमोटिकॉन्स कहा जाता है। तब मुस्कान के लिये : ), पक्का न होने पर :/, क्राई के लिये :'(‘, किस के लिये :*, हार्ट के लिये <3, अपसेट होने पर >:O, या किकी होने के भाव व्यक्त करने के लिये ^_^ कम्प्यूटर की बोर्ड पर उपलब्ध चिन्हों के ही संयुक्त प्रयोग से इसी तरह के कई चित्रात्मक अभिव्यक्ति के प्रयोग किये जाने लगे पर अब यह पुरानी बात हो चली है। तब इस तरह वैचारिक अभिव्यक्ति की सीमा थी।
छोटे चित्र, बड़ी बात: इमोजी की ताकत
वर्तमान समय लंबे लंबे पत्र लिखने का नहीं रहा। आज क्रिकेट भी पांच दिनों की दो इनिंग के खेल से सिमटकर ट्वेंटी-ट्वेंटी ओवर के आधे दिन के खेल में बदल चुका है। साफ्टवेयर विशेषज्ञों ने मनोभाव व्यक्त करने के लिये नन्हें नन्हें इमोजी चित्रों का विकास किया। ये चित्र लम्बी चौड़ी बात को छोटे से चित्र के द्वारा बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर देते हैं। समय के साथ हम कम्प्यूटर की बोर्ड की जगह स्मार्ट फोन और टैब के जरिये ही परिवारजनों, मित्रों, कार्यालयीन सहयोगियों के सतत संपर्क में बने रहते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार एक चित्र ढ़ेरों शब्दों से अधिक प्रभावी होता है।
इमोजी: डिजिटल अभिव्यक्ति की नई भाषा
छोटे छोटे इमोजी चित्रों ने वैश्विक भाषा के रूप में स्थान बना लिया है। भावना व्यक्त करने के लिए यह एक क्विक शॉर्टकट तरीका है। इमोजी, भावना, वस्तु या दृश्य के प्रतीक चित्र होते हैं। मूलतः यह एक जापानी शब्द है – पिक्टोग्राफ, आइडियोग्राम, स्माइली और इमोटिकॉन्स इमोजी के ही किंबहुना समानार्थी शब्द हैं।
इशारों की भाषा से जुड़ता विश्व
दिल का हाल बताना हो या किसी पर गुस्सा दिखाना हो, बिना शब्दों के चित्रों के इशारों की भाषा से सब मुमकिन हो पा रहा है। यह इमोजी की विशेषता है। इमोजी की भाषा ग्लोबल लेंग्वेज बन चुकी है। व्हाट्स एप और फेसबुक पर होने वाली चैट में इमोजी ही मनोभावों की अभिव्यक्ति का साधन बन चुके हैं।
तकनीक और संस्कृति की मिलनस्थली
इमोजी इलेक्ट्रानिक चित्रों का ऐसा समूह है, जो कि आपके चेहरे के भाव को छोटी सी इमेज से व्यक्त कर देते हैं। ऐप्पल के इमोजी की विशिष्ट स्टाइल से हम सब परिचित हैं। पीले रंग की कार्टूनी विभिन्न चेहरों की अभिव्यक्तियों के साथ-साथ परिवार, इमारतों, जानवरों, खाद्य वस्तुओं, गणितीय प्रतीकों की उपलब्धता स्मार्ट फोन के हर की बोर्ड पर है।
भारतीय भावनाओं के अनुरूप इमोजी की संभावनाएँ
समय और आवश्यकता के साथ साथ नये नये इमोजी विकसित होते जा रहे हैं। अभी भी भारतीय जीवन शैली के अनुरूप अनेक भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिये इमोजी विकसित करने की कई संभावनायें हैं, जैसे चरण स्पर्श करने या आशीर्वाद देने के लिये इमोजी मुझे ढ़ूंढ़े नहीं मिली। इसी तरह प्रायः नमस्ते के लिये जो इमोजी हम आप बड़े धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं वास्तव में वह क्लैपिंग की हाई फाई फीलिंग के लिये बनी है।
इमोजी: भावों की सीमाओं को पार करती एक क्रांति
इसी तरह अचंभे, दुख, आश्चर्य, खुशी, गुस्से, प्यार आदि को अभिव्यक्त करती कई इमोजी चित्रों में बारीक अंतर होते हैं, जिन्हें भेजने वाला बिना समझे भले भेज दे पर मजे की बात है कि समझने वाला त्वरित संदर्भो में उसे समझ भी लेता है। तो इस तरह वाक्य लघु चित्रों में सिमट चुके हैं, और देश, धर्म, राजनैतिक सीमाओं से परे एक नई वैश्विक भाषा विकसित होती जा रही है।