दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षाबलों ने 30 घंटे चले बड़े आतंकवाद-रोधी अभियान में अहम सफलता हासिल की। इस ऑपरेशन में दो आतंकवादी ढेर कर दिए गए, उनका ठिकाना ध्वस्त कर दिया गया और भारी मात्रा में हथियार व आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। हालांकि इस कार्रवाई में दो जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया और सेना का एक मेजर घायल हुआ।
कैसे चला ऑपरेशन गुडर
सूत्रों के अनुसार, सोमवार सुबह आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने संयुक्त अभियान शुरू किया। घने जंगल और ऊबड़-खाबड़ इलाके के कारण ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। पहले दिन रुक-रुककर गोलीबारी होती रही, अंधेरा बढ़ने पर इसे अस्थायी रूप से रोकना पड़ा और मंगलवार सुबह अभियान को दोबारा तेज किया गया।
आतंकी ठिकाने का पर्दाफाश
मंगलवार दोपहर सुरक्षाबलों ने जंगल के बीच बने आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया। यहां से INSAS राइफल, AK-47 राइफल, एलपीजी सिलिंडर, प्रेशर कुकर, बैटरियां, सोलर पैनल, गैस स्टोव समेत बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। अधिकारियों का मानना है कि आतंकवादी इस ठिकाने का उपयोग लंबे समय तक छिपकर रहने और हमले की योजना बनाने के लिए कर रहे थे।
मार गिराए गए आतंकी
अभियान के दौरान लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें कुलगाम का स्थानीय आतंकी आमिर अहमद डार और पाकिस्तान मूल का रहमान भाई शामिल था। इन दोनों के मारे जाने को सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है।
शहीद जवान और सेना की श्रद्धांजलि
ऑपरेशन में सेना के सूबेदार प्रभात गौड़ और लांस नायक नरेंद्र सिंधु शहीद हो गए, जबकि एक मेजर घायल हो गया। चिनार कोर ने इन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। सेना के प्रवक्ता ने कहा, “भारतीय सेना अपने वीर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को नमन करती है। उनका साहस और समर्पण हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा। हम शोक-संतप्त परिवारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”
रणनीतिक महत्व और सीख
कुलगाम के जंगल लंबे समय से आतंकी गतिविधियों के गढ़ रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ड्रोन, उन्नत निगरानी और संयुक्त ऑपरेशन जैसे उपाय आतंकवाद पर काबू पाने के लिए निर्णायक साबित हो रहे हैं। इस अभियान ने एक बार फिर दिखा दिया कि सुरक्षाबलों की त्वरित कार्रवाई और ठोस खुफिया जानकारी कितनी महत्वपूर्ण है।
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