अमेरिका और ईरान के बीच डरावनी खींचतान क्यों बढ़ रही है?
परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान के साथ अमेरिका की बातचीत दिन पे दिन जटिल होती जा रही है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास आराघाची ने साफ कर दिया है कि वो परमाणु मसले को लेकर अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीते दिनों अमेरिका और इजराइल ने जिस तरह से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करके उनको भारी नुकसान पहुंचाया है। जिसके बाद अमेरिका साथ अब बातचीत का कोई औचित्य नही बनता। ईरानी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अमेरिका ने ईरान के साथ अगले सफ्ताह बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था। जिसे खारिज कर दिया गया है। बता दें कि ईरान और इजरायल युद्ध विराम के बाद ईरान ने कहा था कि वो परमाणु कार्यक्रम पर फिर से काम शुरू करेंगे। और बहुत जल्द परमाणु हथियार भी बनाएंगे।
परमाणु को लेकर व्हाइट हाउस से कोई बात नही होगी
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास आराघाची ने शुक्रवार को एक स्थानीय टेलीविजन को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ बातचीत के सभी दरवाजे बंद नहीं हुए है। हम बातचीत की संभावनाओं को इनकार नहीं करते हैं। अभी ईरान 12 दिनो के एक बड़े युद्ध से बाहर निकला है। ईरान में अभी बहुत से अन्य समस्याएं है। जिन्हे सरकार सुलझाने का काम कर रही है। फिलहाल के लिए परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका से बातचीत संभव नहीं है। ईरान और अमेरिका के बीच ऐसा कोई भी समझौता नहीं हुआ। जिससे यह कहा जाए कि दोनों देश जल्द बातचीत की मेज पर आयेंगे। अमेरिका ने बातचीत को बहुत जटिल बना दिया है। इस बीच शुक्रवार को तेहरान में जुमे की नमाज पर भारी भीड़ जमा हुई। नमाज के बाद ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने कहा कि ईरान ने इजरायल को सबक सीखकर बड़ी जीत हासिल की है।
ऑपरेशन राइजिंग इतिहास में होगा दर्ज
ईरान और इजरायल के बीच 13 जून से चले 23 जून तक युद्ध को इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग नाम दिया था। बीते दिन शुक्रवार को IDF के चीफ जनरल स्टाफ एयाल जमीर ने कहा कि ईरान के खिलाफ शुरू किया गया ऑपरेशन राइजिंग इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। इजराइल ने इस ऑपरेशन के जरिए ईरान के अंदर गहराई तक हमले किए है। हमने ईरान के परमाणु ठिकानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। साथ ही उनकी बैलेस्टिक मिसाइलों और ड्रोन को भी तबाह किया है। बचा हुआ काम अमेरिकी सेना ने कर दिखाया। अमेरिका ने भी ईरान के तीन परमाणु केंद्रों को तबाह करके ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पांच सालों तक पीछे धकेल दिया। अगर भविष्य में फिर ज़रूरत पड़ी तो इसी तरह का ऑपरेशन इजरायल फिर करेगा।
ट्रंप ने दिया ईरान को बड़ा ऑफर
ईरान और इजरायल युद्ध विराम के बाद अमेरिका ने दुनिया को हैरान करते हुए एक बड़ा ऑफर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम की बातचीत को लेकर बहुत उतावले हो रहे हैं। यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने ईरान को नया समझौता करने के लिए बड़ा ऑफर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने ईरान को 30 बिलियन डॉलर यानी 2.50 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता, आर्थिक प्रतिबंधों में ढील, और जमे हुए अरबों डॉलर की राशि को बहाल करने की पेशकश दी है। ट्रंप प्रशासन ने आगे कहा कि अगर ईरान को हमारी ये शर्ते नामंजूर है तो उसके पास बहुत समय है। वो अपनी उचित शर्ते अमेरिका के सामने रख सकता है। बता दें कि ट्रंप प्रशासन का ये ऑफर ऐसे वक्त पर आया है। जब डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने का दावा किया है।
ओबामा कार्यकाल में ईरान के साथ हुआ था समझौता
अमेरिका और इजराइल का मकसद पिछले कुछ सालों से यही था कि किसी भी तरह ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोका जाए। ईरान का परमाणु कार्यक्रम लम्बे समय से विवादो में रहा है। साल 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता हुआ था। जिसमें अमेरिका के साथ रूस, चीन, ब्रिटेन फ्रांस और जर्मनी भी शामिल थे। तब अमेरिका के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह समझौता कराया था। लेकिन साल 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया था। और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास अभी भी 60% तक यूरेनियम है। वो कुछ दिनों में परमाणु हथियार बना सकता है।