पटना, 25 अगस्त 2025 – बिहार की राजधानी पटना आज किसान आंदोलन का केंद्र बन गई है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर उतर आए और सरकार पर आरोप लगाए कि उनकी ज़मीन जबरन अधिग्रहण की जा रही है, वो भी बिना उचित मुआवज़ा दिए।
प्रदर्शन का नेतृत्व बक्सर के सांसद और आरजेडी नेता सुधाकर सिंह कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसानों को उनकी ही ज़मीन से बेदखल किया जा रहा है, और मुआवज़ा 2014 की दरों पर दिया जा रहा है, जबकि बाजार दर इससे कहीं ज़्यादा है।

डाकबंगला चौराहा बना टकराव का केंद्र
प्रदर्शनकारी बुद्धा पार्क से होते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन डाकबंगला चौराहा पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। यहां बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश में किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ।
पुलिस को हालात संभालने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा, और पूरे इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए गए हैं। फिलहाल, पटना जंक्शन से डाकबंगला तक के रास्ते बंद कर दिए गए हैं।
किसानों
की क्या है मांग?
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है:
- सरकार उनकी ज़मीन बिना सहमति और सही मुआवज़े के अधिग्रहित कर रही है।
- मुआवज़ा पुरानी दर (2014) के हिसाब से दिया जा रहा है, जबकि बाजार मूल्य अब बहुत बढ़ चुका है।
- सरकार को चाहिए कि वो मुआवज़ा आज की कीमत के अनुसार दे और किसानों से सम्मानजनक बातचीत करे।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
सुधाकर
सिंह का बयान
सुधाकर सिंह ने कहा, “यह आंदोलन किसानों की ज़मीन और इज़्ज़त दोनों की रक्षा के लिए है। सरकार विकास के नाम पर किसानों को उजाड़ रही है और उनका हक़ मार रही है।“
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो वे विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।
बिहार में किसानों और सरकार के बीच ज़मीन अधिग्रहण को लेकर टकराव गहराता जा रहा है। जहां सरकार विकास परियोजनाओं के लिए ज़मीन चाहती है, वहीं किसान चाहते हैं कि उन्हें उचित मुआवज़ा और सम्मान मिले।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार बातचीत के रास्ते को अपनाती है या यह संघर्ष और लंबा खिंचता है।
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