पार्थिव शिवलिंग निर्माण से जैन बगीची शिवमय

Aanchalik Khabre
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पार्थिव शिवलिंग निर्माण से जैन बगीची शिवमय

अभिनेता राजपाल यादव ने श्रद्धा से बनाए शिवलिंग


दद्दाजी की प्रेरणा से आस्थाओं का हुआ पुनः अखंड समागम: डॉ. अनिल त्रिपाठी

अंबाह। श्रावण मास की पवित्र बेला में अंबाह स्थित जैन बगीची भगवान शिव की भक्ति से सराबोर हो उठी। ब्रह्मलीन संत पूज्य दद्दा जी की प्रेरणा और उनके ज्येष्ठ पुत्र गृहस्थ संत डॉ. अनिल त्रिपाठी के सानिध्य में चल रहे तीन दिवसीय पार्थिव शिवलिंग निर्माण महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को श्रद्धा की एक अनुपम छवि देखने को मिली।


राजपाल यादव ने भावुकता से किया शिवलिंग निर्माण

इस भव्य आयोजन में फिल्म अभिनेता राजपाल यादव भी शामिल हुए। उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच बैठकर पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया और कहा:

“यह केवल पूजा नहीं, आत्मा को छूने वाला अनुभव है। इस आयोजन में सम्मिलित होकर मैं धन्य हुआ।”

उनके पहुंचते ही आयोजन स्थल पर विशेष उत्साह की लहर दौड़ गई।


भजनों और मंत्रों से गुंजा आयोजन स्थल

राधे-राधे मंडल, सागर द्वारा प्रस्तुत भजनों ने वातावरण को और अधिक आध्यात्मिक कर दिया। “भोलेनाथ तेरी महिमा अपरंपार” जैसे भजनों की स्वर लहरियों के बीच “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से शिवलिंग निर्माण किया।


पूजन सामग्री का वितरण और सुव्यवस्थित व्यवस्था

डॉ. अनिल त्रिपाठी के मार्गदर्शन में दद्दा शिष्य मंडल द्वारा श्रद्धालुओं को मिट्टी की गोलियां, थाली, पूजन सामग्री, दुर्वा, पुष्प, बेलपत्र, पंचामृत आदि वितरित किए जा रहे थे। आयोजन की व्यवस्थाएं इतनी सुव्यवस्थित थीं कि हर श्रद्धालु को पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा का अवसर मिला।


सभी वर्गों की उत्साही भागीदारी

  • महिलाएं टोलियों में बैठकर भजनों के साथ शिवलिंग बना रही थीं।

  • कुछ महिलाएं घर से लाई पूजन सामग्री से शिवलिंग पूजन कर रही थीं।

  • आयोजन स्थल पर सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध थी।

  • बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों सभी वर्गों की उत्साही भागीदारी ने इस आयोजन को सामूहिक साधना का स्वरूप दे दिया।


संतों का आगमन और आशीर्वाद

इस आयोजन में संत बालकदास महाराज, संत पंचमानंद महाराज एवं कल्याणी मैया का आगमन भी हुआ, जिससे श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्राप्त हुआ और आयोजन की गरिमा और बढ़ गई।


श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग निर्माण का विशेष महत्व

पार्थिव शिवलिंग निर्माण को श्रावण मास में अत्यंत फलदायी माना जाता है। डॉ. अनिल त्रिपाठी के निर्देशन में यह आयोजन धर्म, संस्कृति, पर्यावरण और आध्यात्मिक चेतना का अद्भुत संगम बना हुआ है।


पूरे चंबल क्षेत्र से उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

अंबाह, बरेह, पोरसा एवं समस्त चंबल परिक्षेत्र से आए शिष्यों ने इस आयोजन को जन-जन की साधना का रूप दे दिया।


गृहस्थ संत डॉ. अनिल त्रिपाठी का प्रेरणादायी प्रवचन

प्रवचन के दौरान गृहस्थ संत डॉ. अनिल त्रिपाठी ने कहा:

“दद्दाजी ने अपनी अखंड दृष्टि के चलते खंड में बटी हुई आस्थाओं को पुनः अखंड कर दिया। वे एक ही यज्ञ पंडाल में सुबह ‘हर’ (शिव) का निर्माण करवाते थे और संध्याकाल वहीं स्वयं के मुख से ‘हरी’ (कृष्ण) की कथा सुनाते थे। इस नाते पूज्य दद्दाजी हरिहरात्मक यज्ञ के अनूठे पुरोधा थे।”

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