माघ मेले के लिए पहली बार लोगो जारी किया गया है इसमें तीर्थराज और त्रिवेणी की महिमा दर्शायी गई है, साधू संतों की और साइबेरियन पक्षियों की उपस्तिथि बना रही है इसे और खास जानिये आगे…
डिजिटल डेस्क | आंचलिक खबरें
प्रयागराज संगम पर लगने वाले माघ मेले के इतिहास में पहली बार माघ मेले के लिए लोगों जारी किया गया है। इसमें माघ मेले से सम्बंधित सभी प्रतीकों को अंकित किया गया है|
लोगो में दर्शाई प्रयागराज और त्रिवेणी की महिमा
लोगों में तीर्थराज प्रयागराज और त्रिवेणी की महिमा दर्शायी गई है। साथ ही इसमें श्री बड़े हनुमानजी मंदिर, अक्षयवट भी प्रतिबिंबित हो रहा है। साधु-संतों के साथ संगम की पहचान साइबेरियन पक्षी भी इसमें दिख रहे हैं।इस लोगो में श्लोक “माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:” अंकित है, जिसका अर्थ है माघ के महीने में स्नान करने से सभी पाप मुक्ति हो जाती है।


माघ मेले के पीछे की मान्यता
माघ मेला हिंदुओं के लिए कुम्भ जैसा ही माना जाता है इसलिए इसे मिनी कुम्भ का दर्जा भी दिया जाता है| हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माघ मेला ब्रह्माण्ड की शुरुआत है। यह मेला हर साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी यानी संगम तट पर आयोजित किया जाता है|यह मेला हिन्दुओं पंचांग के माघ माह में आयोजित होता है| हर साल, माघ मेला जनवरी में मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है,इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है जो हिन्दू मान्यताओं में महत्पूर्ण दिवस है|


माघ मेला और कल्पवास का सम्बन्ध
बड़ी संख्या में लोग हर साल यहाँ आते हैं और संगम के पास ही होटल या तट पर तंबुओं में रहते हैं और पूरे माघ माह पवित्र स्नान करते हैं।इस समयकाल को “कल्पवास” की संज्ञा दी जाती है। जो लोग नियम अनुसार इसका पालन करते हैं उन्हें कल्पवासी कहा जाता है| कल्प को चार युगों के बराबर का समय बताया गया है| इसलिए जो भी कल्पवास का पालन कर स्नान करता है वह जीवन मरण के चक्र से बाहर चला जाता है|

लोगो में क्यों है साइबेरियन पक्षी की मौजूदगी?
दरअसल हर साल साइबेरियन पक्षी साइबेरिया से नवम्बर में आकर फ़रवरी तक भारत में प्रवास पर आते है | यह राजस्थान,बिहार और यू .पी. में वाराणसी और प्रयागराज क्षेत्रों में विचरते है और नदियों और तालाबों के किनारे डेरा डालते है|

योगी आदित्यनाथ ने जारी किया लोगो
माघ मेले के इतिहास में पहली बार मेले के दर्शन तत्त्व को परिलक्षित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। इस लोगो के अंतर्गत तीर्थराज प्रयाग, संगम की तपोभूमि तथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्वता को समग्र रूप से दर्शाया गया है।
