फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनी गले की हड्डी घर घर पहुंच पूर्व प्रधान पुत्र करा रहा हस्ताक्षर-आँचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

News Desk
By News Desk
6 Min Read

 

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र ग्रामीणों के सहयोग से कराया जाएगा सही

चित्रकूट।जिला के खंड विकास कर्वी के अंतर्गत ग्राम पंचायत अकबरपुर के द्वारा पूर्व में जारी किया गया फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र गले की हड्डी बनता जा रहा है। सभी के जुबान पर ग्राम पंचायत अधिकारी व पूर्व प्रधान गैबीशरण के द्वारा जारी कराए गए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र पर उंगलियां उठाई जा रही है । तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण ग्राम पंचायत द्वारा जारी किए गए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर दबी जुबान में ग्राम पंचायत अधिकारी की कार्यशैली पर कीचड़ उछाल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि किसी तरह के ग्राम पंचायत अधिकारी सभी ग्राम पंचायतों में हो जाए तो जीवित व्यक्ति की चल अचल संपत्ति को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर हड़पने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ग्रामीणों ने कहा कि जब महंत रामस्वरूप दास जी की मृत्यु दतिया जिला के चंद्रोल में हुई है और वहीं से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है तो फिर आखिर ग्राम पंचायत अधिकारी ने बिना जांच किए अकबरपुर ग्राम पंचायत से दूसरा नाम रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार का दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र बिना जांच किए कैसे जारी कर दिया। ग्रामीणों के द्वारा यह भी कहा गया कि यदि ग्राम पंचायत अधिकारी रामशरण राही के द्वारा बिना जांच किए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है तो अकबरपुर ग्राम पंचायत में 14वें व 15वे वित्त में भी जमकर धांधली की गई होगी और मन मुताबिक बिना जांच किए शासकीय धन का बंदरबांट किया गया होगा ग्राम पंचायत अधिकारी के इस रवैए को देखते हुए ग्राम पंचायत के विकास कार्यों की जांच करवाना अति आवश्यक है जिससे भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हो सकता है।

मृतक के परिजनों के साथ घर-घर पहुंच पूर्व प्रधान पुत्र करा रहा हस्ताक्षर

ग्राम पंचायत अधिकारी अकबरपुर के द्वारा जारी किए गए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को सही साबित करने के लिए अब मृतक महंत के परिजन व पूर्व प्रधान पुत्र नत्थू लाल के द्वारा घर घर पहुंच एक रजिस्टर में हस्ताक्षर कराने का कार्य शुरू किया गया है और ग्रामीणों को गुमराह करते हुए हाथ पैर जोड़कर रजिस्टर में हस्ताक्षर कराया जा रहा है। यह कारनामा इसलिए किया जा रहा है कि जांच अधिकारियों के द्वारा कहा गया है कि ग्रामीण में निवासरत लोगों के हस्ताक्षर करा कर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को प्रशासन के सामने सत्य दिखाना अति आवश्यक है और इसके लिए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को सही साबित करने के लिए ग्रामीणों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी। जिसको लेकर अब पूर्व प्रधान पुत्र व मृतक महंत के परिजनों के द्वारा घर-घर पहुंच हस्ताक्षर कराने का कार्य किया जा रहा है और फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को सही साबित करने के लिए यह खेल खेला जा रहा है। बल्कि जांच अधिकारियों को शायद यह जानकारी नहीं है कि मृतक महंत रामस्वरूप दास जी की मृत्यु दतिया जिला के खण्डविकास भांडेर के गांव चंद्रोल में हुई है और मृतक महंत का अंतिम संस्कार एवं समाधि चंद्रोल के मंदिर में आज भी बना हुआ है। यहां तक की चंद्रोल ग्राम पंचायत से मृतक महंत रामस्वरूप दास जी का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। जबकि ग्रामीण के द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3 )के तहत सच्चाई उजागर करने के लिए आवेदन संबंधित दोनों ग्राम पंचायतों में दिया गया है। जिसे खुलासा हो सकेगा कि आखिर वास्तविक रुप से मृतक महंत की मृत्यु किस ग्राम पंचायत में हुई है।

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वालों का पक्ष ले रहे जिले के जांच अधिकारी

ग्रामीणों का कहना है कि जिले के उच्च अधिकारियों को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले ग्राम प्रधान व सचिव( ग्राम पंचायत अधिकारी) के कार्यशैली पर सख्त जांच कर कार्रवाई करना चाहिए लेकिन जिले का उच्च अधिकारी फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों की मरहम पॉलिश करने में लगा हुआ है। जांच और कार्यवाही की बात तो दूर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को सही साबित करवाने के लिए तरह-तरह के तोड़ बताकर ग्राम पंचायत में योजनाओं के नाम पर हस्ताक्षर कराने का कार्य शुरू किया गया है और ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है। जबकि अकबरपुर निवासी शिकायतकर्ता अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे द्वारा जल्द दोनों ग्राम पंचायत से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर साक्ष्य के रूप में जिले के जिला अधिकारी के समक्ष रखा जाएगा और दोषियों के ऊपर कार्रवाई करने की मांग की जाएगी यहां तक कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने वाले पूर्व ग्राम प्रधान व सचिव के साथ साथ उन सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जाएगी जो फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में अपना साथ दे रहे हैं। यदि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र में जिले के उच्च अधिकारियों ने कार्यवाही नहीं की तो मजबूरन शिकायतकर्ता को न्यायालय की शरण में जाने को विवश होना पड़ेगा।

Share This Article
Leave a Comment