(कुमार कृष्णन)
विशेष गहन पुनरीक्षण से उठ रहे सवाल
बिहार मतदाता सूची 2025 का विशेष गहन पुनरीक्षण जारी है। इसमें अनेक नाम बेदखल किए जा रहे हैं। अब यह मांग उठ रही है कि बिहार मतदाता सूची 2025 के “विशेष गहन पुनरीक्षण” को संशोधित नहीं, रद्द किया जाए।
मतदाता सूची से नाम हटाने की शिकायत कैसे करें?
मतदाता सूची से नाम हटाने की शिकायत कैसे करें, यह सवाल भी जन सुनवाई में उठा। साथ ही यह सवाल भी उठा कि ग्रामीण मतदाता वोटर लिस्ट में नाम कैसे जोड़ें, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और सुविधाओं की भारी कमी है।
बिहार में तेज हो रही है राजनीतिक हलचल
बिहार में अब यह मुद्दा बवाल बनता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वोटर लिस्ट बयान से लेकर योगेंद्र यादव और वजाहत हबीबुल्लाह तक अब इस मामले को लेकर मैदान में उतर चुके हैं।
सामाजिक संगठनों द्वारा जन सुनवाई
भारत जोड़ो अभियान, जन जागरण शक्ति संगठन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय गठजोड़, समर चैरिटेबल ट्रस्ट, स्वराज अभियान और कोसी नवनिर्माण मंच ने इस विषय पर जन सुनवाई का आयोजन किया।
दस्तावेज़ जुटाने में ग्रामीणों को हो रही परेशानियाँ
इसमें यह बात कही गयी कि चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज़ ग्रामीण बिहारवासियों के लिए जमा कर पाना असंभव है। बिहार मतदाता सूची 2025 के इस “विशेष गहन पुनरीक्षण” की प्रक्रिया संविधान की प्रस्तावना में दिए गए राजनीतिक न्याय और समानता के वादे के खिलाफ है।
आयोग की प्रक्रियाओं का उल्लंघन और असर
अनुचित दबाव में सिर्फ लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग की अपनी ही प्रक्रियाओं का कई बार उल्लंघन हुआ है। इससे बिहार मतदाता सूची 2025 की गुणवत्ता अधिक बिगड़ेगी और चुनाव आयोग के उद्देश्य को नुकसान पहुँचेगा।
बीआईए हॉल, पटना में आयोजित जन सुनवाई
पटना के बीआईए हॉल में बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 पर आयोजित जन सुनवाई में बिहार के 14 ज़िलों से लोग आए हुए थे।
ग्रामीण महिला की पीड़ा – चावल बेचकर फोटो खिंचवाना
कटिहार से आईं फूल कुमारी देवी ने बताया, “मैं मज़दूर हूं। बीएलओ दस्तावेज़ प्रक्रिया में बीएलओ ने मुझसे आधार और वोटर कार्ड की फोटोकॉपी मांगी। मैंने 4 किलोमीटर चलकर पासपोर्ट फोटो खिंचवाई। मेरे पास पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने अपने राशन का चावल बेच दिया। दस्तावेज़ जुटाने में मेरे दो दिन की मज़दूरी चली गई। मेरे पास चावल नहीं था, दो दिन भूखी रही।”
जन सुनवाई में उजागर हुईं कई गड़बड़ियां
राज्य भर से आए प्रतिभागियों ने बताया कि गणना फॉर्म बीएलओ के बजाय कई बार वार्ड पार्षद, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सफाईकर्मी द्वारा बांटे गए। कई मतदाताओं को फॉर्म भरने का तरीका ही नहीं बताया गया। कई परिवारों में कुछ लोगों को फॉर्म मिला, कुछ को नहीं।
दस्तावेज़ों की अनियमित मांग और फॉर्म की प्रक्रिया में गड़बड़ी
पटना शहर में बिना फोटो वाला अनधिकृत फॉर्म बांटा गया। कई विवाहित महिलाओं को अपने मायके से दस्तावेज़ लाने में कठिनाई हुई। बीएलओ ने जिन दस्तावेजों को लिया (जैसे आधार और वोटर कार्ड), वे चुनाव आयोग की अधिकृत सूची में नहीं हैं।
फॉर्म रिसीविंग और हस्ताक्षर की समस्याएं
जन सुनवाई में आये सिर्फ 5 से कम लोगों को अपने फॉर्म पर रिसीविंग मिली। वे सभी जागरूक थे और दबाव डालने के बाद ही रिसीविंग मिली। कई मामलों में लोगों को पता ही नहीं था कि उनका फॉर्म बीएलओ ने पहले ही जमा कर दिया, बिना उनके हस्ताक्षर लिए।
सोशल मीडिया पर सवाल उठाने वालों को धमकियाँ
एक मामले में, जिसने इस पर सोशल मीडिया पर बात की, उसके करीबी लोगों को धमकियाँ मिलीं। ग़ैर-पढ़े-लिखे मतदाताओं को फॉर्म भरवाने के लिए लगभग ₹100 देने पड़े। कई बीएलओ ने बैंक पासबुक की कॉपी भी ली, जबकि वोटर लिस्ट बिहार अपडेट में इसकी ज़रूरत नहीं बताई गई थी।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दस्तावेज़ बहने की समस्या
कोई मानक प्रक्रिया नहीं थी। एक ही परिवार में पति की फोटो ली गई, पत्नी की नहीं। यह खेती का समय है। बिहार के सबसे ग़रीब लोग इस समय पंजाब में खेतों में काम कर रहे हैं। वे अधिकतर अनपढ़ हैं और उनके पास फॉर्म ऑनलाइन भरने की सुविधा नहीं है। कोसी नदी के बाढ़ प्रभावित गांवों में दस्तावेज़ बार-बार बाढ़ में बह जाते हैं, खासकर ग़रीब और दलित वर्ग के लोग इसका शिकार हैं।
बीएलओ पर दबाव और अन्य योजनाओं पर असर
बीएलओ पर भारी दबाव है—जो नियमों का पालन कर रहे हैं उन्हें धीमा कहकर डांटा जा रहा है और वेतन रोकने की धमकी दी जा रही है। बीएलओ और आंगनवाड़ी सेविकाओं की इस प्रक्रिया में अत्यधिक व्यस्तता से शिक्षा और पोषण की जनकल्याणकारी योजनाओं को नुकसान हो रहा है।
जन सुनवाई में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्वों की टिप्पणियाँ
जन सुनवाई की पैनल में वजाहत हबीबुल्ला (पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त), न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश (पूर्व न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय), प्रोफेसर दिवाकर (पूर्व निदेशक, ए. एन. सिन्हा संस्थान), जाँ द्रेज (अर्थशास्त्री), श भंवर मेघवंशी (सामाजिक कार्यकर्ता) और प्रोफेसर नंदिनी सुंदर (समाजशास्त्री) शामिल थे।
“यह प्रक्रिया असंवैधानिक है” — विशेषज्ञों की राय
न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज़ ग्रामीण बिहारवासियों के लिए जमा कर पाना असंभव है। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने बताया, “प्रशासन का दुरुपयोग हो रहा है, यह लोगों की मदद नहीं बल्कि उन्हें परेशान कर रहा है। बिहार मतदाता सूची 2025 का यह “विशेष गहन पुनरीक्षण” न संविधान के अनुसार है, न आरटीआई कानून के अनुरूप है।”
लोकतंत्र के लिए खतरा — विशेषज्ञों की चेतावनी
सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान की प्रस्तावना, जिसमें राजनीतिक न्याय और समानता का वादा है, के खिलाफ है। अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने कहा, “बिहार मतदाता सूची 2025 को संशोधित नहीं बल्कि रद्द किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग की अपनी प्रक्रियाओं का कई बार उल्लंघन हुआ है। इससे बिहार मतदाता सूची 2025 की गुणवत्ता गिरेगी और उद्देश्य विफल होगा।”
“लोकतंत्र जनता का नहीं रहा” — प्रो. दिवाकर
समाजशास्त्री प्रो. नंदिनी सुंदर ने बताया, “बिहार मतदाता सूची 2025 का यह “विशेष गहन पुनरीक्षण” लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि हमारी आवाज़ सुनी जाएगी और हम आगे लड़ाई जारी रखेंगे।” एएन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. दिवाकर ने बताया कि आज हमारा लोकतंत्र न जनता का है, न जनता के लिए है, न जनता द्वारा है। हमें इसे वापस लाने के लिए संघर्ष करना होगा।
जन सुनवाई में शामिल प्रमुख प्रतिनिधि
जन सुनवाई में शाहिद कमाल, ऋषि आनंद, कामायनी स्वामी, महेंद्र यादव, ज़हीब, उमेश शर्मा आशीष रंजन, तन्मय ने भी हिस्सा लिया। गया के परमेश्वर यादव, सहरसा के गोविंद पासवान, सहरसा की सुमित्रा देवी, पटना की राखी देवी, कहिटार के इशाक, अररिया की मुन्नी देवी समेत अनेक लोगों ने अपनी बातें रखीं। मौके पर भारत जोड़ो अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव, महासचिव अजीत झा भी उपस्थित थे।
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में सामने आई प्रमुख गड़बड़ियाँ
जनसुनवाई में जो प्रमुख समस्याएं सामने आयीं उनमें जिन 11 दस्तावेजों को आयोग ने देने को कहा है, वह अधिकतर लोगों के पास है ही नहीं। आधार कार्ड लेकर फॉर्म जमा कराया जा रहा है, जबकि आयोग ने इसे मान्य नहीं बताया, जिससे ये समझा जा सकता है की वोटर आईडी सूची में गड़बड़ी की गई है।
विधानसभा में भी छाया मुद्दा, विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
वहीं, वोटर सूची सुधार अभियान बिहार और चुनावी गड़बड़ी 2025 को लेकर बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज हंगामेदार रहा। मतदाता सूची के इस पुनरीक्षण में लोगों का नाम कटने का आरोप लगाया गया। पूरा विपक्ष अड़ा रहा। बैनर-पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया।
विपक्ष और पप्पू यादव की तीखी प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव वोटर लिस्ट बयान में कहा गया कि विधानसभा में वोटर लिस्ट के मुद्दे पर हर हाल में चर्चा कराई जाए, नहीं तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव बोले कि बिहार मतदाता सूची 2025 का यह “विशेष गहन पुनरीक्षण” देश का मुद्दा है। बिहार केवल झांकी है, असम और बंगाल बाकी है।
दस्तावेज़ों की मांग और समय सीमा पर उठ रहे सवाल
बिहार में जहां लगभग 65.58 प्रतिशत लोग बेघर हैं, वहां चुनाव आयोग नागरिकों से भूमि आवंटन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की उम्मीद करता है। जहां निरक्षरता व्याप्त है वहां वे स्कूल प्रमाणपत्र की मांग करते हैं। जहां गरीबी पलायन को मजबूर करती है उन लोगों से आयोग को ‘स्थायी निवास प्रमाण’ की आवश्यकता होती है और संभावित रूप से लाखों मतदाताओं के लिए इन अस्पष्ट दस्तावेजों को इकट्ठा करने के लिए दी गई समय सीमा एक महीने से भी कम है।
आयोग की तैयारी और आंकड़े
चुनाव आयोग मतदाता सूची प्रक्रिया में कहा गया है कि उसने इस विशाल अभ्यास के लिए एक लाख से अधिक ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, 4 लाख स्वयंसेवकों और 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को लगाया है और 80 फीसदी मतदाता पंजीकरण फॉर्म पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं।
ग्रामीण मतदाता वोटर लिस्ट में नाम कैसे जोड़ें?
1. योग्यता जांचें
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आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
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भारतीय नागरिक होना चाहिए।
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उस विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना चाहिए, जहां आप नाम जोड़ना चाहते हैं।
2. आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें
पहचान प्रमाण:
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आधार कार्ड / पैन कार्ड / ड्राइविंग लाइसेंस / पासपोर्ट
पते का प्रमाण: -
राशन कार्ड / बिजली बिल / पानी बिल / बैंक पासबुक / आधार
आयु का प्रमाण (यदि पहली बार वोटर बन रहे हैं): -
जन्म प्रमाण पत्र / 10वीं की मार्कशीट आदि
3. आवेदन फॉर्म भरें
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फॉर्म 6 (Form 6) को भरना होता है।
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यह फॉर्म ग्राम पंचायत कार्यालय, बीएलओ, तहसील कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं या NVSP पोर्टल पर ऑनलाइन भर सकते हैं।
4. ऑफलाइन प्रक्रिया
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ग्राम पंचायत या बीएलओ कार्यालय जाएं।
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फॉर्म 6 लें और पूरी जानकारी भरें।
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जरूरी दस्तावेज़ संलग्न करें।
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बीएलओ को जमा करें, वह सत्यापन के लिए घर पर भी आ सकता है।
5. ऑनलाइन प्रक्रिया
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NVSP.in या Voter Helpline App पर जाएं।
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‘Apply for Voter Registration (Form 6)’ चुनें।
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जानकारी भरें, फोटो और दस्तावेज़ अपलोड करें।
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सबमिट कर दें और आवेदन संख्या नोट कर लें।
6. आवेदन की स्थिति कैसे जांचें?
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NVSP वेबसाइट पर जाकर Track Application Status पर क्लिक करें।
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या बीएलओ से संपर्क करें।
7. नाम जुड़ने के बाद
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अपना नाम सुनिश्चित करने के लिए वोटर लिस्ट की जांच करें।
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Voter Search पोर्टल या अपने क्षेत्र के बीएलओ से लिस्ट चेक कर सकते हैं।
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नाम जुड़ने के बाद ही आप मतदान कर सकेंगे।
नोट: यह पूरी प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।