– घोटाला उजागर होने के बाद पल्ला झाड़ रहे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, जबकि उन्हें जुलाई 2019 में मिल चुका है नोटिस – संजय सिंह
– घोटाले को छुपाने के लिए भाजपा के केंद्रीय मंत्री और डीडीए अधिकारी बोल रहे झूठ – संजय सिंह
नई दिल्ली, 13 जनवरी 2020
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि गरीबों के फ्लैट के नाम पर हुए करोड़ों का घोटाला उजागर होने के बाद जिस प्रकार से भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी जी और डीडीए के अधिकारियों की प्रतिक्रिया आई उससे यह साबित होता है कि यह घोटाला बहुत बड़े स्तर का है।
संजय सिंह ने कहा कि ऐसा मैं इसलिए भी कह रहा हूं कि माननीय केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी जी ने कहा कि मुझे इन 772 फ्लैट्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है और जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह सब निराधार है। उन्होंने कहा कि मैं हैरान हूं हरदीप पुरी जी केंद्रीय मंत्री होकर भी देश और दिल्ली की जनता के सामने झूठ बोल रहे हैं। डीडीए के फ्लैट जिन लोगों को अलॉट हुए उन लोगों द्वारा भेजे गए एक लीगल नोटिस की कॉपी दिखाते हुए संजय सिंह ने कहा, कि आवेदन कर्ताओं ने यह नोटिस 13 जुलाई 2019 को दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय, प्रधानमंत्री कार्यालय, शहरी विकास मंत्री कार्यालय तथा अन्य कई विभाग को भेजा है। संजय सिंह ने कहा कि जब इस नोटिस में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि यह हरदीप पुरी जी के कार्यालय को भी भेजा गया था, तो हरदीप पुरी जी क्यों झूठ बोल रहे हैं? इसी बात से घोटाले के संदेह की सुई और पुख्ता होती है और यह बात साबित होती है कि दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है।
संजय सिंह ने कहा कि इस चिट्ठी के माध्यम से आवेदन कर्ताओं ने डीडीए को भी अवगत कराया था। डीडीए कह रही है कि यह फ्लैट्स डीएलएफ ने बनाए थे, इसका डीडीए से कोई लेना देना नहीं है, जोकि कोरा और सफेद झूठ है। डीडीए अगर यह झूठ बोल रहा है तो इसका मतलब है कि डीडीए में और सरकार में बैठे मंत्रिमंडल के लोग गंभीर रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
संजय सिंह ने कहा अपना दामन बचाने के लिए सरकार कह रही है कि ₹6,90,000 एक अनुमानित राशि हमने बताई थी। मैं पूछना चाहता हूं की अनुमानित कॉस्ट ₹690000 से बढ़कर 700000 हो सकती है, 7.5 लाख हो सकती है, परंतु 19 लाख रुपए अर्थात 3 गुना अधिक कैसे हो सकती है? इसी प्रकार जो 1100000 रुपए की कैटेगरी वाले फ्लैट्स थे उसके लिए ₹2500000 का डिमांड नोट क्यों भेजा गया?
डीएलएफ से डीडीए द्वारा फ्लैट खरीदने के कागजात दिखाते हुए संजय सिंह ने कहा कि इन कागजों में साफ तौर पर दिख रहा है, कि आपने डीएलएफ से फ्लैट खरीदे हैं, तो आप किस आधार पर कह सकते हो कि इनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं है? उन्होंने यह भी बताया कि 690000 में जो फ्लैट ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लोगों को आबंटित किए जाने थे वह ₹822000 में खरीदे गए थे, और जो 1100000 में आबंटित किए जाने थे वह ₹998000 में खरीदे गए। यहां पर भी भाजपा सरकार की चोरी पकड़ी गई। डीएलएफ से जो फ्लैट ₹822000 में खरीदा आप उसे ₹1900000 में कैसे बेच सकते हैं? और जो फ्लैट ₹998000 में खरीदा, उसके लिए आवेदन कर्ताओं से 2500000 रुपए कैसे मांग सकते हैं? जनता से आप फ्लैट की तीन गुनी कीमत वसूल रहे हैं और सफाई दे रहे हैं कि पुरानी कॉस्ट अनुमानित राशि थी।
संजय सिंह ने मीडिया के माध्यम से भाजपा सरकार से कुछ प्रश्न पूछे जो कि निम्न प्रकार से हैं….
1) जब केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी जी को 13 जुलाई 2019 को नोटिस मिल गया था तो वह झूठ क्यों बोल रहे हैं कि उन्हें 772 फ्लैट्स के बारे में कोई जानकारी नहीं?
2) जब आप ने निर्माण कार्य संपूर्ण होने के बाद फ्लैट की कीमत 690000 रखी तो आवेदन कर्ताओं को ₹1900000 का डिमांड नोट किस आधार पर भेजा?
3) जब आपने डीएलएफ से फ्लैट ₹822000 में खरीदा और दूसरी श्रेणी का फ्लैट ₹998000 का खरीदा तो 1900000 लाख और 2500000 अर्थात तीन गुनी कीमत क्यों मांगी?
4) आपने कहा कि ₹100000 वार्षिक आय वाले को ईडब्ल्यूएस की श्रेणी में शामिल करेंगे, तो आप उनसे ₹10655 की मासिक किस्त अर्थात लगभग ₹125000 वार्षिक किस किस आधार पर मांग रहे हैं?
संजय सिंह ने कहा कि एक तरफ तो आप कहते हैं कि ₹100000 तक वार्षिक आय वाले व्यक्ति को हम ईडब्ल्यूएस श्रेणी में शामिल करेंगे और फिर उनसे सालाना लगभग ₹125000 की किस्त भरने की बात भी कहते हो, आप जनता के साथ धोखा कर रहे हो। क्योंकि जो व्यक्ति ₹10655 की मासिक किस्त भरेगा वह तो खुद ब खुद ईडब्ल्यूएस श्रेणी से बाहर हो जाएगा। इस प्रकार से आप जनता को कानूनी दांवपेच में फंसाना चाहते हो। संजय सिंह ने यह भी कहा कि आपकी इसी प्रकार की गलतियों के कारण हाईकोर्ट ने आपकी इस योजना पर रोक लगाई। क्योंकि आपकी बेईमानी और भ्रष्टाचार को कोर्ट ने भी संज्ञान में लिया। संजय सिंह ने कहा कि मैं हैरान हूं कि इस भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए किस प्रकार से डीडीए के अधिकारी और भाजपा के केंद्रीय मंत्री तक लगातार झूठ पर झूठ बोल रहे हैं।