भिवंडी चाविंद्रा डंपिंग ग्राउंड बंद करने की मांग तेज 40 हजार झोपड़ावासियों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा

Aanchalik Khabre
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भिवंडी

चाविंद्रा में डंपिंग ग्राउंड से बढ़ी परेशानी

भिवंडी मनपा क्षेत्र के अंतर्गत चाविंद्रा स्थित डंपिंग ग्राउंड में रोजाना 400 टन से अधिक कचरा डंप किया जा रहा है। यह डंपिंग मनपा स्कूल क्रमांक 46 के सामने, चाविंद्रा सिटी पार्क के लिए आरक्षित भूखंड पर की जा रही है। कचरे के ढेर से उठती बदबू और धुआं चाविंद्रा, गायत्रीनगर, पोगांव, नागांव सहित आसपास की शहरी बस्तियों में रहने वाले नागरिकों के लिए गंभीर समस्या बन गया है।


ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन, तत्काल बंद करने की मांग

ग्रामीणों की ओर से सुरेश यशवंत पाटिल, राम पाटिल, संदीप मोतीराम पाटिल, तेजस रामदास पाटिल, देव शिवराम पाटिल, सुरेश मोतीराम पाटिल और अनंत पाटिल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मनपा आयुक्त अनमोल सागर और उपविभागीय अधिकारी अमित सानप को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि डंपिंग ग्राउंड को तुरंत बंद किया जाए।


स्थानीय नागरिकों का जीवन और खेती पर असर

चाविंद्रा, पोगांव, गायत्रीनगर और आसपास के इलाकों के लोग पीढ़ियों से यहां रहते आए हैं। इनकी आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। डंपिंग ग्राउंड से सटे वन विभाग की ज़मीन पर बड़ी संख्या में झुग्गियाँ बसी हैं, जहां करीब 30 हजार से अधिक लोग रहते हैं।
नागरिकों का कहना है कि नगर निगम प्रशासन का कर्तव्य है कि वह मूलभूत सुविधाएं और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करे। आरक्षित पार्क की जमीन पर कचरा जमा करना यहां के लोगों के साथ अन्याय है।


कचरे से बढ़ रहा प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट

ज्ञापन में बताया गया है कि कचरे में प्लास्टिक, ज्वलनशील और रासायनिक कचरा शामिल है। इनके जलने से तेज गंध और जहरीला धुआं फैलता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। डंपिंग ग्राउंड के सामने स्थित नगर निगम के प्राथमिक स्कूल के छात्रों को भी बदबू के कारण पढ़ाई में कठिनाई हो रही है।
किसानों ने आरोप लगाया है कि डंपिंग ग्राउंड का कचरा उनके खेतों तक फैल रहा है, जिससे खेत बंजर हो रहे हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।


चेतावनी: 7 दिन में कार्रवाई न हुई तो विरोध प्रदर्शन

स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर कई बार मौखिक और लिखित शिकायत की है। नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त, महापौर और प्रशासक से भी मुलाकात की गई लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
सुरेश यशवंत पाटिल ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिन के भीतर नगर निगम प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर निर्णय नहीं लेता है, तो वे लोकतांत्रिक तरीके से जोरदार विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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