सीपी राधाकृष्णन की पीएम मोदी से मुलाकात: उपराष्ट्रपति पद के नए चेहरे की यात्रा

Aanchalik Khabre
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CP RadhaKrishnan

एक नई शुरुआत की ओर बढ़ते कदम

18 अगस्त 2025 को देश की राजधानी दिल्ली में एक शांत लेकिन अहम राजनीतिक मुलाकात हुई। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। लेकिन यह केवल एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी — बल्कि इस मुलाकात के पीछे था उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की गंभीरता और गरिमा।

राधाकृष्णन को हाल ही में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके अनुभव को राष्ट्र की सेवा में उपयोगी बताया।

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सीपी राधाकृष्णन कौन हैं?

सीपी राधाकृष्णन कोई नया चेहरा नहीं हैं। तमिलनाडु से आने वाले राधाकृष्णन चार दशकों से अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। झारखंड और महाराष्ट्र जैसे दो अलग-अलग राज्यों के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।

उनकी राजनीति का आधार केवल सत्ता नहीं, सेवा रही है। वे लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, और पार्टी के कई बड़े संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। उनकी राजनीतिक छवि साफ-सुथरी, समर्पित और विचारधारा-निष्ठ रही है।

राजनीति से परे: सेवा और अनुभव की पूंजी

राजनीति में कई लोग आते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो बिना विवाद, शांत और निरंतर सेवा करते हैं। सीपी राधाकृष्णन ऐसे ही नेता हैं। उनकी छवि एक ऐसे जनसेवक की रही है जो विचारों के आधार पर चलता है, न कि व्यक्तिगत प्रचार के।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:”उनकी लंबी जनसेवा और विभिन्न क्षेत्रों का अनुभव हमारे राष्ट्र को समृद्ध करने में मदद करेगा।”

यह वाक्य केवल औपचारिक शुभकामना नहीं, बल्कि एक अनुभवी नेता के प्रति विश्वास का प्रतीक है।

पीएम मोदी से मुलाकात: केवल राजनीति नहीं, विश्वास का संकेत

जब राधाकृष्णन ने पीएम मोदी से मुलाकात की, तो यह मुलाकात केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी। यह उस भरोसे और सम्मान का प्रदर्शन भी थी, जो एनडीए नेतृत्व ने उनके भीतर देखा है।

मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, और आम जनता में उत्सुकता जागी कि कौन हैं ये व्यक्ति जिन्हें देश का अगला संभवतः सबसे उच्च constitutional पदों में से एक सौंपा जा रहा है।

चुनाव प्रक्रिया और विपक्ष की चुप्पी

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए की बैठक के बाद राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की। फिलहाल विपक्ष की ओर से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आया है। यह राजनीतिक दृष्टिकोण से एक दिलचस्प स्थिति है — क्योंकि यह दर्शाता है कि शायद विपक्ष भी एक ऐसे उम्मीदवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारने को लेकर संकोच में है जिसकी छवि बिना विवाद के रही है।

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव 9 सितंबर 2025 को होना है। अब देखना यह होगा कि क्या यह चुनाव निर्विरोध होगा या मुकाबला देखने को मिलेगा।

संविधान में उपराष्ट्रपति की भूमिका: महज प्रतीक नहीं

अक्सर लोग उपराष्ट्रपति को केवल “राष्ट्रपति का विकल्प” समझते हैं, लेकिन वास्तव में यह पद कई तरह से महत्वपूर्ण है। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और संसद में संतुलन बनाए रखने में उनकी बड़ी भूमिका होती है।

अगर राधाकृष्णन इस पद पर नियुक्त होते हैं, तो उनके अनुभव  राज्यपाल के रूप में, सांसद के रूप में और एक विचारशील नेता के रूप में उन्हें इस संवैधानिक भूमिका में सशक्त बनाएंगे।

दक्षिण भारत से एक और अहम प्रतिनिधित्व

सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं। ऐसे समय में जब केंद्र सरकार दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, एक दक्षिण भारतीय नेता को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाना एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक दोनों ही निर्णय है।

यह संदेश देता है कि एनडीए दक्षिण भारत को केवल एक राजनीतिक चुनौती नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक भागीदार मानता है।

राजनीति में शांति और संतुलन की मिसाल

राधाकृष्णन की सबसे बड़ी ताकत है उनका शांत स्वभाव और संतुलित दृष्टिकोण। जब राजनीति में बयानबाज़ी और टकराव का दौर चलता है, तब ऐसे नेता लोकतंत्र को स्थिरता और गरिमा प्रदान करते हैं।

उनके उपराष्ट्रपति बनने से राज्यसभा की कार्यवाही में एक नया संतुलन और अनुशासन देखने को मिल सकता है।

राधाकृष्णन की उम्मीदवारी: युवाओं के लिए एक संदेश

इस नामांकन में एक गहरा संदेश भी छुपा है कि राजनीति केवल आक्रामक भाषण या बड़े-बड़े दावों का खेल नहीं है। शांति, सेवा और निरंतरता से भी कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंच सकता है।

आज जब युवा राजनीति को लेकर भ्रम में रहते हैं, तो राधाकृष्णन जैसे नेताओं का सफर उन्हें प्रेरणा दे सकता है।

अनुभव, विश्वास और भारत का भविष्य

सीपी राधाकृष्णन का नाम केवल एक औपचारिक प्रस्ताव नहीं है, यह उस विचारधारा का विस्तार है जो नेतृत्व में अनुभव, स्थिरता और समर्पण को महत्व देती है।

उनकी पीएम मोदी से मुलाकात इस बात की पुष्टि करती है कि यह निर्णय सोच-समझकर, विश्वास और भविष्य की दृष्टि से लिया गया है।

अब जब चुनाव की तारीख नज़दीक है, देश की निगाहें इस शांत लेकिन महत्वपूर्ण सफर पर टिकी हैं।

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