दीपका त्रिपाठी ने बताया कि भारत की आजादी का सफर अंग्रेजी शासन के खिलाफ सदियों के संघर्ष से भरा रहा।
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भगत सिंह की क्रांतिकारी सोच
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रानी लक्ष्मीबाई का शौर्य
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा
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महात्मा गांधी का अहिंसा आंदोलन
इन सभी ने मिलकर भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जेल की यातनाएं सही, फांसी के फंदे चूमे, लेकिन आजादी के सपने को कभी धूमिल नहीं होने दिया।
स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाएं? सिर्फ छुट्टी नहीं, एक जिम्मेदारी
दीपका त्रिपाठी ने नागरिकों से आह्वान किया कि इस दिन को केवल सरकारी अवकाश मानकर न बिताएं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और ऐतिहासिक जागरूकता के साथ मनाएं।
सुझाव:
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तिरंगा फहराकर और राष्ट्रगान गाकर देश के प्रति सम्मान प्रकट करें।
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बच्चों को स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरक कहानियां सुनाएं।
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सामाजिक एकता और देश की प्रगति में योगदान देने का संकल्प लें।
आजादी का असली मतलब: एकजुटता और राष्ट्र निर्माण
त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्रता का मूल्य तभी सार्थक है जब हम देश की एकता, समृद्धि और सामाजिक सद्भाव के लिए कार्य करें।
“आजादी सिर्फ अंग्रेजों से मुक्ति नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, असमानता और अज्ञानता से मुक्ति का संकल्प भी है।”
गर्व के साथ जिम्मेदारी का एहसास
15 अगस्त हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है।
दीपका त्रिपाठी का यह संदेश हर भारतीय के दिल में गूंजना चाहिए –
“हमारे पूर्वजों ने हमें आजादी दिलाई, अब हमारी बारी है कि हम उसे सुरक्षित रखें और भारत को विश्वगुरु बनाएं।”
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