यातायात,परिवहन व नगर परिषद बनी मूकदर्शक
झुंझुनू।जिला पुलिस अधीक्षक गौरव यादव द्वारा जिले में चलाए जा रहे आई एम सेफ अभियान जिससे निरंतर दुर्घटनाओं में कमी आई है लेकिन वही जिला पुलिस अधीक्षक के आदेशों की धज्जियां इस कदर उड़ाई जा रही है कि हर कोई हैरत में है।जहां नंबर लिखे वाहनों द्वारा दुर्घटना होने पर अपराधी की पहचान हो जाती है वहीं झुंझुनू शहर में यातायात कर्मियों की मौजूदगी में नगर परिषद झुंझुनू के सरपट दौड़ते ऑटो टिपर जिनके ऊपर ना कहीं नंबर लिखा हुआ है ना कोई नंबर प्लेट है और यातायात विभाग के अधिकारियों के सामने से ऐसे वाहन गुजर जाते हैं जिससे प्रतीत होता है कि या तो यातायात विभाग और परिवहन विभाग की नजरें कमजोर हैं या जानबूझकर किया जाता है अनदेखा।शहर के अति व्यस्त एक नंबर रोड केंद्रीय बस स्टैंड के सामने से गुजरते ऑटो टिपर जिनके ऊपर ना आगे नंबर लिखे हुए हैं ना पीछे लगे हुए हैं और अधिकारियों की मौजूदगी में सरपट दौड़ रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि शायद इन वाहनों के नंबरों के साथ-साथ रजिस्ट्रेशन व वाहन का बीमा भी मुश्किल ही हो।लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई ना करना इंगित करता है कि निजी वाहनों से तो राजस्व व स्वयं का कोई हित सध सकता है नगर परिषद में ठेकेदारों के चलते ऑटो टिपर से कोई आय नजर नहीं आती।नगर परिषद झुंझुनू में ऑटो टिपर के ठेकेदार हर महीने लाखों रुपए का भुगतान उठा रहे हैं।आखिर बिना नंबर के ऑटो टिपरों को क्यों दिया जा रहा है प्रतिमाह भुगतान।लेकिन ध्यान दे कौन आखिर क्यों यातायात विभाग,नगर परिषद और जिला परिवहन विभाग के अधिकारी क्यों बने हुए हैं मुकदर्शक या फिर सब की मिलीभगत से हो रहा है इनका संचालन नगर परिषद झुंझुनू को बार-बार अवगत कराने के बावजूद भी उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगना बड़ा सवालिया निशान है। आखिर इन बिना नंबरों के दौड़ने वाले ऑटो टिपर से यदि कोई जनहानि घटित होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा यातायात विभाग,जिला परिवहन विभाग या नगर परिषद किसके माथे लगाया जाएगा यह कलंक।आखिर जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा चलाई गई आई एम सेफ अभियान जिसमें सभी नियमों के तहत वाहनों का परिवहन करने वालों को जिला पुलिस द्वारा सम्मानित किया जाता है वहीं इन तीन विभागों द्वारा आई एम सेफ अभियान पर लगाया गया ग्रहण कब हटेगा यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।