सहरसा जिला अंतर्गत शाहपूर के देवन वन में लगी भक्तों की कतार हिंदू धर्म में माघ मास की सभी विशेष तिथियों का कुछ न कुछ महत्व होता है। मकर संक्रांति, षट्तिला एकादशी के बाद अब माघ चतुर्दशी। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का पुराणों में विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। इस साल यह चतुर्दशी 23 जनवरी को पड़ रही है। इसे नरक निवारण चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसे 21 फरवरी को पड़ने वाली महाशिवरात्रि से पहले शिव पूजा की विशेष तिथि माना जा रहा है। इस दिन व्रत करने से आयु में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए माघ चतुर्दशी का महत्व, पूजाविधि और अन्य खास बातें…
1/3इस वजह से खास है यह तिथि
शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था। जिसे महाशिवरात्रि के रूम में देश-भर में धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है। इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
2/3नरक द्वार करता है बंद
हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरूप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है।
3/3खास तरीके से करें शिव की पूजा
इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरूर चढ़ाना चाहिए। अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए। साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन ब्राह्मण को घी और शहद का दान करने से रोगों से छुटाकारा मिलता है। किसी के घर में कोई रोगी है तो वह इस अवसर पर यह उपाय कर सकते हैं।