कोरोना से बचने का उपाय,भारतीय नमस्ते कारगर है।
सुबोध जैन, भोपाल
“करोंना वायरस” आज सम्पूर्ण विशव में मौत का पर्याय बन चुका है इस वायरस ने बड़ी ही तेज़ी से सऊदी अरब,इजरायल, इंडोनेशिया, भारत सहित विशव के समस्त देशों में दस्तक देकर मौत का एक ताँडव मचा दिया है,और इस वायरस के प्रभाव से हजारों की तादात में लोग काल के गाल में समा चुके है। इल्म हो कि इन “करोंना वायरस” चीन से सम्पूर्ण विश्व मे व्याप्त हुआ है,व इस वायरस के प्रभाव से ही चीन में सैकड़ों लोग मौत के मुँह में जा चुके है और ना जाने कितने अभी जायेगे। अब सवाल यह उठता है कि क्या विशव में व्याप्त ये जानलेवा “करोना वायरस” मानव निर्मित है या प्रकृति द्वारा स्वतः ही उत्पन्न हुआ है। अग़र यह मानव निर्मित है तो फिर इसका जन्मदाता कौन है जबकि इसके इज़ाद का जम्मेदार चीन को ठहराया जा रहा है,और अगर यह वायरस चीन द्वारा निर्मित किया गया है। तो इस इस बात को चीन कैसे स्वीकार करेगा कि यह वायरस का निर्माण उसी ने किया है। “करोना वायरस” को लेकर भारत सहित अन्य देशों में भ्रांतियां फैली हुई हैं कि इस वायरस को स्वंम चीन ने ही एक जैविक अस्त्र के रूप में इज़ाद किया है।अब यह एक भ्रांति है या हकीकत यह तो शायद चीन से बेहतर कौन जान सकता है। लेकिन अग़र उस पर आरोप भी लगाया जाए तो वह साफ मुकर जायेगा। क्योंकि अगर यह वायरस उसी के द्वारा इज़ाद किया गया है तो चीन में भी इसी वायरस के प्रभाव से सैकड़ों लोगों की जाने जा चुकी है।अगर वास्तव में यह उसी के द्वारा निर्मित है तो उसका यह प्रयास उसी के लिये जानलेवा साबित हो गया है, अब यहाँ यह यक़ीन से तो नही कहा जा सकता है कि इस वायरस का इज़ाद चीन ने किया है।या यह वायरस चीन में इतेफाक से जन्म ले लिया है।सोच का विषय है कि अगर चीन का इज़ाद यह “करोंना वायरस” होता तो वो आज अपने यहाँ इस जानलेवा वायरस से लोगों को बचा लेता। वहाँ के लोग काल के गाल में नही जाते।सच्चाई तो यह है कि चीन के पास भी कोरोना की दवा नहीं है और वह भी इसी प्रयास में लगा होगा कि आख़िर कैसे वो लोगों की जान बचाये। बहरहाल ये एक बहस का मुद्दा है। फ़िलहाल तो अभी सम्पूर्ण विशव इस वायरस के प्रभाव से बचाने का रास्ता निकालने में लगे हुए है। यकीनन यह एक जानलेवा खतरनाक वायरस है,जो लाइलाज है इस वायरस को रोकने का कोई असरकारक इलाज अभी तक तो किसी भी देश के पास नही है।अतः इस वायरस के बारे में यह कहा जा सकता है कि अभी इस को रोकने की लाइलाज दवा किसी भी देश के पास हो यह संभव नही है। इल्म हो कि कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है. कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनिया भर में तेजी से फ़ैल रहा है.अब तक कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया के 60 देशों में फ़ैल चुका है. चीन में कोरोना का कहर जारी है और अब ईरान, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे देश कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से जूझ रहे हैं.कोरोना के बढ़ते खतरे के मद्देनजर अब लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं ज्ञात हो कि कोरोना के संक्रमण फैलने की चार वजह हो सकती है. आप संक्रमित व्यक्ति के पास कितनी देर रहे? आप उसके कितने पास गए? क्या उस व्यक्ति के छींकने या खांसने की वजह से आपको छींटे पड़े? आपने अपने चेहरे को कितनी बार छुआ? आपके उम्र और स्वास्थ्य की वजह से भी कोरोना के संक्रमण का असर पड़ता है.अगर कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उस प्रक्रिया में उसके मुंह या नाक से कुछ बूंदें गिरती हैं, इनसे कोरोना का संक्रमण हो सकता है।इतना ही नही विशेषज्ञों का मानना है कि,”अगर आप किसी व्यक्ति के इतने करीब हैं कि उनके मुंह से आपको लहसुन या अदरक की खुशबू आ रही है तो किसी संक्रमित व्यक्ति से आपके शरीर में भी कोरोना का वायरस पहुंच सकता है.”इतना ही नही “करोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति से कम से कम तीन फीट की दूरी बनाये रखना ही ठीक होगा। चीन से आने वाले लोगों की सतर्कता से जाँच की जा रही है। यहां तक कि चीनी कोरोना को रोकने के लिए इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अपने देशवासियों से कहा कि जानलेवा कोरोना वायरस को रोकने के लिए आप लोग हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते करिए। अभिवादन करने के लिए भारतीय तरीका यानी नमस्ते अपनाकर कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सकता है ।दुनिया के अनगिनत देशों में पैर पसार चुका है कोरोना वायरस की 28 मामलों की पुष्टि भारत में हो चुकी है। चीन से फैला कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संकट बनता जा रहा है। इल्म हो कि यह “करोना वायरस” व्यक्ति को अस्वस्थ्य कर मृत्यु की दहलीज तक पहुंचा रहा हैं।तो वही इसका प्रभाव दुनिया के सम्पूर्ण देशों के वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है।इतना ही नही भारत की अर्थव्यवस्था व्यवस्था भी इससे अछूती नही है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के अनुसार “कोरोना वायरस” के फैलने से वैश्विक वृद्धि पर 0.3 प्रतिशत यानी 250 अरब डॉलर तक का असर पड़ सकता है।पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने इस संदर्भ में कहा कि वैश्विक आपूर्ति के बाधित होने से न केवल चीन का निर्यात प्रभावित होगा बल्कि आयातित देशों के निर्यात भी प्रभावित होंगे। इसका कारण यह है कि कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं का बड़ा हिस्सा चीन से आयात होता है और उससे अंतिम वस्तु तैयार कर दूसरे देशों को निर्यात किया जाता है।उन्होंने कहा कि इस समय हमें घरेलू खपत मांग और क्षमता बढ़ाने की जरूरत है ताकि वैश्विक व्यापार पर कोरोना वायरस के संभावित प्रभाव को कम किया जा सके। अग्रवाल ने कहा कि औषधि, सौर ऊर्जा और लोहा तथा इस्पात क्षेत्रों को कोरोना वायरस के कारण चीन से कच्चे माल के आयात को लेकर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।इतना ही नही चीन वैश्विक व्यापार में बड़ा देश है और वस्तुओं के कुल वैश्विक निर्यात में उसका योगदान करीब 13 प्रतिशत है।अतः इस वायरस का
मुख्य रूप से अमेरिका, हांगकांग, जापान, कोरिया, वियतनाम, जर्मनी, भारत, नीदरजैंड समेत अन्य देशों को निर्यात किया जाता है। वैश्विक व्यापार पर प्रभाव पड़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावना कमजोर होगी। इतना ही नही अग्रवाल ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के लगातार फैलने से वैश्विक वृद्धि में 0.3 प्रतिशत का असर पड़ सकता है। यह 250 अरब डॉलर से अधिक बैठता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत को खोयी हुई बाजार हिस्सेदारी फिर से प्राप्त करने के लिये अपनी आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करनी चाहिए।
बहरहाल “करोना वायरस” ने पूरी दुनिया मे मौत का ताँडव ही नही मचाया है बल्कि उसने अपना प्रभाव सम्पूर्ण विशव के वैश्विक अर्थव्यवस्था व्यवस्था को भी प्रभावित करने में कोई कसर नही छोड़ी है। आज दुनिया के अनगिनत देश इस जानलेवा वायरस से बचाने के उपाय तलाशने में लगे हुए है।लेकिन अफसोस अभी इस लाइलाज जानलेवा विषाणु का इलाज किसी भी देशों के पास नही है अगर इसका इलाज है तो बस एक ही है कि सावधानी बरतें और लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार करे।