जिले में निजी क्लीनिको के फर्जी चिकित्सकों के द्वारा खून निकालने और खून बेचने के काला कारोबार का खुलासा एक वायरल वीडियो से हुआ है, वही खून का यह कारोबार बदस्तूर जारी है। कहते हैं कि रक्तदान महादान कारण यह है कि रक्त रासायनिक मिलावट से नहीं बन सकती है और यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक के द्वारा मनुष्य के शरीर में ही पाया जाता है सारण जिले में एकमात्र ब्लड बैंक जिले में मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराने में अक्षम दिखता है और यही कारण है कि निजी नर्सिंग होम में लाल खून का काला कारोबार बदस्तूर जारी रहता है देखिए यह वायरल वीडियो जिसमें एक युवक अपने पत्नी को बचाने के लिए किस तरह लाल टीशर्ट वाले कथित पांडे जी से खून के लिए गुहार हो जा रहा है और पांडे जी झोले से निकालकर खून भी उपलब्ध करा रहे हैं और खून की कीमत ₹3000 तस्वीरों में आप देखेंगे मरता क्या नहीं करता की तर्ज पर पीड़ित युवक पैसे दे रहा है और लाल टीशर्ट वाले के बगल में लाल शर्ट में खड़े यही है वह डॉक्टर साहब जो नगर थाना के ओवर ब्रिज रोड में प्रीति इमरजेंसी क्लीनिक के नाम से अपना निजी नर्सिंग होम चलाते हैं. वर्षों से चल रहे इस निजी नर्सिंग होम पर कभी प्रशासन की नजर नहीं पड़ी , और लाल पीले बोर्ड में एमबीबीएस एमबीए की डिग्री लिखी हुई है, वही इस वीडियो के बारे मे जब चिकित्सक से पूछा उनका क्या कहना है जरा आप भी सुनिए
अब जरा तस्वीरों को देखिये यह डाक्टर लाल टीशर्ट वाले पांडेय जी खून आपूर्तिकर्ता से बात भी कर रहे और सफाई भी दे रहे है, मतलब यह है कि यह गोरखधंधा यहां वर्षो से चलता है जिसके बारे में सब को पता भी है यही कारण है कि खून की जरूरत हो तो आप संपर्क कीजिये मदद के नाम पर आपसे वसूली की जाएगी और आपको संक्रिमित ब्लड दी जाएगी, पीड़ित ने क्या कहा यह सुनिए
इस युवक को डाक्टर साहब अपने सपोर्ट में बुलाया है परंतु सवालों में हकलाना और इनके जबाब यह बताने के लिए काफी है कि खून जरूरत के वक्त उन्हें यही से उपलब्ध कराया गया वही इस मामले का खुलासा करने वाले युवक का क्या कहना है जड़ा यह भी सुनिए
आपको बता दे कि संक्रमित खून जान देने के बजाय जान लेने वाला साबित हो सकता है और बिना ब्लड बैंक के आखिर खून का काला कारोबार कैसे चलता है अब जरा जिले के सिविल सर्जन की सुनिए
लाल खून का का काला कारोबार लोगो की जिंदगी लील रहा है समेकियो और गलत कार्यो का जड़ भी यही है इससे कितनी मौत भी होती और दब जाती है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जिला मुख्यालय में कुकुरमुत्ते की तरह यह क्लिनिक कैसे चल रहा है, जबकि यह जिला सारण स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार में है तो सवाल भी सरकार पर उठन्गे ही , और इसका जबाब किसी के पास नही की आखिर कब रुकेगा यह धंधा ।