वर्षो पुराने और बडे बेनर अखबार बन्द होने की कगार पर आखिर क्यों??????
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार जिस प्रकार से समाचार पत्रों के खिलाफ तानाशाह पूर्ण नीति अपनाये हुए है उससे देश का चौथा स्तंभ खतरे में आ गया है।
भोपाल,सिंगरौली,सिधी सहित प्रदेश के अन्य जिलों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र पत्रिकाओ के बिल भुगतान रोका गया,इसके बाद उनके विज्ञापन भी बन्द कर दिये गये। समाचार पत्रों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सरकार ने एक जांच टीम भी गठित की हुई है,जो समबन्धित प्रिंटिंग प्रेसो मे जाकर विभिन्न प्रकार से जांच की कार्यवाई कर रही है।
जबकि इसी माह जनसम्पर्क सॅचालनालय के सामने पत्रकारों के धरना-प्रदर्शन के दौरान जनसम्पर्क आयुक्त ने मंच से जांच कमेटी को तत्काल भंग करने की घोषणा की थी। जनसम्पर्क आयुक्त ने यह भी कहा था कि किसी भी प्रेस में कोई टीम नहीं जायेगी,सभी सूची मे शामिल समाचार पत्र अपनी फाइल पूर्व की तरह जिला जनसम्पर्क कार्यालय में जमा कर सकते है। क्या जनसम्पर्क आयुक्त की यह घोषणा मात्र छलावा थी,या फिर आंदोलनकारी पत्रकारों को लॉलीपॉप थमाना। कुल मिलाकर सरकार समाचार पत्रों पर दबाव बनाकर देश के चौथे स्तंभ पर कुटाराघात कर रही है। सरकार ने इन समाचार पत्रों को आर्थिक रूप से इतना कमजोर कर दिया गया कि वह अपनी आखरी सांस गिन रहे है। इन समाचार पत्र संस्थानों में कार्यरत हजारों कर्मचारियो से जुड़े लाखों परिजन सदस्य भूखा मरने की कगार पर आ पहुंचे है। इनमें कई दैनिक समाचार पत्र पिछले 50 से 30 वर्षो से निरंतर प्रकाशित हो रहे है,इन अखबारों के दफ्तर में हजारों कर्मचारी वर्षो से अपनी रोजी रोटी चलाकर परिवार का जैसे तैसे भरण-पोषण कर रहे हैं। कई संस्थानो ने तो अपने कर्मचारियो को हटाने तक का फरमान सुना दिया है, इनमें प्रदेश के कुछ बडे बेनर भी शामिल है जिन्होने खस्ता हालत के चलते कर्मचारियो की छटती का फरमान सुना दिया है। सरकार की इस नीति के चलते कई समाचार पत्र बंद होने की कगार पर आ पहुंचे है। प्रदेश में चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो पर कभी भी इतनी खराब स्थति नहीं देखी गई जो आज देखने को मिल रही है। सभी सरकारें पत्रकारों के हित के लिए कार्य करती रही है। सरकार की अखबारों के प्रति अपनाई जा रही इस तानाशाह पूर्ण नीति के खिलाफ पत्रकारों मे भारी रोष व्याप्त है। और सभी दैनिक समाचार पत्रों के प्रकाशकों तथा संपादको ने चेतावनी दी है, यदि प्रदेश सरकार ने अखबारों के खिलाफ अपनी दमनकारी नीति जारी रखी तो समस्त समाचार पत्र सामूहिक रूप से अपने अखबारों के प्रकाशन अनिश्चितकाल के लिए बन्द कर देंगे और सभी पत्रकार हड़ताल पर चले जाएंगे। समाचार पत्रों का प्रकाशन बन्द होने की सारी जबाबदेही सरकार की होगी।
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मध्य प्रदेश मे तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीतियों से चौथा स्तंभ खतरे में-आंचलिक ख़बरें-
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