ब्रायोज़िन फर्मासिट्यूकल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक को अपने ही पार्टनरों से जान का खतरा?-आंचलिक ख़बरें-एस. ज़ेड.मलिक

Aanchalik Khabre
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नई दिल्ली – दिल्ली की एक कैंसर की दवा बनाने वाली ब्रायोज़िन फार्मास्युटकल नामक एक कम्पनी के चार पार्टनरों में आपसी फूट और तीन पार्टनर एक जुट हो कर असली मालिक को जान से मारने को तरह तरही की साजिशें रचने का मामला प्रकाश में आया है।
रोहित त्रिपाठी जो इस समय अपने आपको ब्रायोज़िन फार्मास्युटकल कम्पनी स्थित नई दिल्ली के मोतीनगर का मालिक बताते हुए नई दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता कर पत्रकारों को उक्त जानकारी दी।
उनका मानना है कि कम्पनी के पूर्व बिज़नेस पार्टनर पूर्व निर्देशक राजेश आहूजा , सुधाकर आर्य, चार्टेड अकाउंटेंट दिवाकर जग्गा , और मार्केटिंग कन्सलेन्ट उमेश चोपड़ा ने मिल कर गुप्तरूप से डरा धमका रहें हैं, तथा दो बार रॉबरी कराई गई एवं एक बार कोलकाता में अपहरण करके फिरौती मांगी गई लेकिन रोहित अपनी सूझ-बूझ से किसी प्रकार उनके चंगुल से मुक्ता करा पाए थे। इस बारे में वहां भी एफआईआर कराई लेकिन आज तक इस मामले में दिल्ली प्रसाशन या कलकोता प्रसाशन ने अभियुक्तों पर कोई कारवाई नहीं कि, फिरभी रोहित को भारतीय संविधान व न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है कि एक प्रसाशन ज़ोर सुनेगा और अभियुक्तों पर कारवाई ज़रूर होगी।
अपने आपको फार्मास्युटिकल के मालिक कहने वाले रोहित त्रिपाठी ने अपने तीनो पार्टनर पर आरोप लगाते हुए बताया कि जहां एक एक ओर मानसिक रूप से उन्हें परेशान किया जा रहा है वहीं उनके बिज़नेस से सम्बंधित निजी और सोशल मीडिया तथा ई-मेल अकाउंट एवं मेरा मोबाइल नम्बर को हैक कर मेरी जासूसी कर मेरे धंधे को नुक़्सान कर का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।
आगे रोहित ने प्रेस को बताया कि इनकी घिनौनी द्वेषित एवं दुराग्राहीत प्रतिक्रिया के कारण हमारा काफी नुक़्सान हो रहा है। उन्हें ने कहा कि यह लोग लगभग पिछले 4-5 वर्षों से लगातार मुझे बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि की हर अवैध प्रकिया के विरुद्ध एफआईआर करते रहे है तथा दिल्ली के तीस हजारी में ज्यूडिशियरी कारवाई की मांग भी करते रहे हैं लेकिन अबतक कहीं से कोई न्याय के आशा की किरण दिखाई नही देती इसलिये अब मीडिया का सहारे लेना उचित समझा और आज प्रेस के माध्यम से सरकार और प्रसाशन से अपनी सुरक्षा की मांग करते हैं तथा यदि मेरे साथ या मेरे परिवार के साथ किसी भी प्रकारकी दुर्घटना होती है तो इसके पीछे हमारे तीनो पूर्व पार्टनरो का पूरा पूरा हाँथ होगा।
रोहित ने पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारी कम्पनी की दवाइयां जो डॉक्टर कैंसर पेशेंट को लिखते हैं उस पेशेंट को वे लोग गुमराह कर दूसरे ब्लैकलिस्टेड कम्पनियों की दवाइयां दिलवा देते हैं जो कैंसर की है ही नही वह फेफड़े के बीमारियों दवाइयां पेशेंट को लेने पर मजबूर कर देते हैं यह मामला जब मेरे संज्ञान में आया तो मैंने पेशेंट से एफआईआर करवाई थी जो बाद में दोनों पेशेंट ने दबाव में आ कर अपना केस वापस ले लिया जबकि उन पेशेंट के केस के हवाला दे कर तीसहजारी में सिविल रीड पटीशन भी दिया था लेकिन अब तक उस पर भी कोई उचित कारवाई नही हुई।

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