80 फीसदी सर्कस खत्म हो चुका है। 20 फीसदी जिंदा है तो सिर्फ सर्कस चलाने वाले कलाकारों व कुछ ऐसे पेरेंट्स जो अपने बच्चों को सर्कस से आज भी जोड़े रखना चाहते हैं। जिस तरह से इसका क्रेज कम हो रहा है उसे देखकर लग रहा है कि आने वाले समय में कहीं बातों और किताबों में ही न सिमट जाए। इसलिए बरेली में भी जेमिनी सर्कस की शुरुआत की गई है। पीलीभीत बाईपास पर एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के पास तुलसीनगर मैदान में सर्कस का आयोजन किया गया है।
सर्कस मैनेजर अजय कुमार गोयल ने बताया कि जेमिनी सर्कस 95 साल पुराना है। सर्कस में करतब दिखाने वाले किसी कलाकार से कम नहीं होते। क्योंकि किसी को हंसाना और मनोरंजन करना किसी कला से कम नहीं। लोगों को इस कला की कद्र करनी चाहिए और सर्कस देखने आना चाहिए। उन्होंने बताया- इस बार लगभग 40 कलाकार यहां 25 से 30 करतबों का परफॉर्म कर रहे हैं।
सर्कस में रोजाना दो से ढ़ाई घंटे के तीन शो हैं, जो दोपहर 1 बजे , शाम 4 बजे और शाम 7 बजे से हैं। इनमें जिमनास्टिक, रिंग डांस, हवाई झूला और इथोपिया के आर्टिस्ट परफॉर्म कर रहे हैं।
मुश्किल में है सर्कस का अस्तित्व-आंचलिक ख़बरें-फय्याज खान

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