नई दिल्ली- फुट एंड माउथ कलाकारों द्वारा बनाई गईं शिव पेंटिंग्स से वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस को सुसज्जित किया
वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर के पहले चरण के उदघाटन के मौके पर भारत की बेहद प्रतिष्ठित और पहली सेमी हाई-स्पीड रेलगाड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस अब यात्रियों को एक आध्यत्मिक यात्रा के जरिए काशी की समृद्ध विरासत से परिचित करायेगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस के एग्जीक्यूटिव श्रेणी के डिब्बों की भीतरी दीवारों पर आदिनाथ भगवान शिव और आदिशक्ति की पेंटिंग लगाई गयी है। इन पेंटिगों की एक विशेषता यह भी है कि इन्हें जम्मू के फुट एंड माउथ कलाकारों द्वारा तैयार किया गया है ट्रेन-18 का उदघाटन 15 फरवरी, 2019 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा झंडी दिखाकर किया गया था। यह रेलगाडी देश की राजधानी को पारम्परिक संस्कृति, मिथक और किंवदंती द्वारा गौरवान्वित प्राचीन जीवंत शहर वाराणसी से जोड़ती है। इसके एक अन्य रैक को भारत के माननीय गृहमंत्री ने 3 अक्टूबर, 2019 को झंड़ी दिखाकर राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया ताकि कटरा स्थित तीर्थ को जाने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा की बेहतर सुविधा मिल सके।
वंदे भारत एक्सप्रेस के ये रैक यात्रियों को समय की पाबंदी के बेहतर रिकॉर्ड और ऑनबोर्ड सुविधाओं व आराम के मामले में बेजोड़ सेवाऍं प्रदान कर रहे हैं।
यह रेलगाड़ी डिस्ट्रिब्यूटिड अंडरस्लेंग माउंटिड कर्षण प्रणाली, एडवांस्ड रि-जनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली, एग्जीक्यूटिव श्रेणी में 180डिग्री के रोटेटिंग मैकेनिज़्म के साथ मॉड्यूलर सीट, डिफ्यूज़्ड एलईडी लाइटिंग, स्वचालित प्रवेश/निकास द्वार, एक कोच से दूसरे कोच में जाने के लिए पूर्णत: सील्ड, चौड़े, सुरक्षित और धूल-मुक्त रास्ते, मॉड्यूलर बॉयो-वैक्यूम शौचालय, मिनी पेंट्री, इमरजेंसी टॉक बैक यूनिटों और प्रत्येक कोच में सेंसर आधारित इंटर कनेक्टिंग दरवाज़ों से लैस है। रेलगाड़ी के शीघ्रता से गति पकडने और गति कम करने की खूबियों ने दोनों मार्गों पर यात्रा के समय को काफी कम कर दिया है। वाणिज्यिक सेवाओं के रूप में शामिल होने के कुछ ही समय के भीतर इन रैकों को यात्रियों की सराहना प्राप्त हुई है और यह रैक इन मार्गों पर यात्रियों के लिए परिवहन का एक पसंदीदा साधन बन गए हैं । यह हवाई अड्डे जैसी औपचारिकताओं के बिना एक तेज़, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा प्रदान करता है।
यात्रियों को विश्वस्तरीय बेजोड़ यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए उत्तर रेलवे का यह प्रयास इस रेलगाड़ी से यात्रा करने वाली सभी यात्रियों की स्मृतियों में जीवंत रहेगा।