विदिशा,
धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने बताया कि
उत्तरायण मकर संक्रांति 14 जनवरी शुक्रवार को रात्रि 8 बजकर 59 मिनिट से प्रारम्भ होगा
मकर संक्रांति से देवताओं का दिन प्रारम्भ होता है,
मकर संक्रांति का वाहन वाहन – व्याघ्र एवं उप वाहन अश्व है
मकर संक्रांति पीले वस्त्र धारण किये हुए हैं |
“पौष मासेsर्क: मकर संक्रांति, सर्वसौख्यं जनस्य च, आनन्द सर्व लोकानां मंगलानी गृहे गृहे”
प्रजा सुखी होगी, अनाजों का उत्पादन अच्छा होगा, घर घर में विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रम होंगे |
“तिलस्नायी, तिलोद्वार्ती, तिलहोम, तिलोदकी, तिलभुक्, तिलदाता च षटतिला: पाप नाशकः
तिल को जल में मिलकर स्नान करना, तिल के लड्डुओं का भगवान को भोग लगाने, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का दान करना, तथा तिल के लड्डुओं का प्रसाद ग्रहण करना मकर संक्रांति के दिन शुभ माना गया है|
ज्योतिष शास्त्रानुशार मकर संक्रांति से सूर्य भगवान उत्तरायण हो जाते है, सूर्य के उत्तरायण होते ही दिन बड़े एवं रात्रि छोटी होने लगती है | ज्योतिष शास्त्रानुसार विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारम्भ होगें|
धर्मशास्त्रों के अनुसार, “उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है”, मकर संक्रांति पुण्यकाल में पवित्र नदियों में स्नान करना, जप, तप, दान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल तथा तिल का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति पर्व पर श्री सूर्यनारायण भगवान को दिखाकर नवीन यज्ञोपवीत धारण करने की वैदिक परम्परा है |