राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झाबुआ में महिला सशक्तिकरण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार तथा श्रीमान मोहम्मद सैय्यदुल अबरार महोदय माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ के मार्गदर्शन में आज दिनांक 24 जनवरी-2022 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झाबुआ में महिला सशक्तिकरण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का प्रारंभ अपर जिला न्यायाधीश/सचिव श्री लीलाधर सोलंकी जी, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती तनवी माहेश्वरी ठाकुर, सुश्री प्रतिभा वास्कले, स्कूल प्राचार्य श्री महेन्द्र कुमार खुराना एवं स्कूल स्टाफ के द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया।
शिविर के प्रारंभ में न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती तनवी माहेश्वरी ठाकुर के द्वारा स्कूल की छात्रा सुश्री इति श्रीवास्तव का पुष्पहार पहनाकर सम्मान किया गया। शिविर में श्री सोलंकी जी द्वारा अपने संबोधन में स्कूली छात्राओं को संबोधित करते हुये कहा कि आज के समय में महिलाऐं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या अन्य कोई क्षेत्र हो। हमें चाहिए कि हम महिलाओं का सम्मान करें और सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि बालिकाओं के साथ भेदभाव करना हमारी मानसिकता में गहराई से समाया हुआ है यह भेदभाव बालिकाओं के साथ शिक्षा, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य देखभाल जैसी मूलभूत जरूरतों में देख सकते है। इन सामाजिक कुरीतियों को बनाने एवं पोषित करने वाला कोई और नहीं अपितु हमारा समाज है। गर्भ में भी कन्या को समाप्त करना केवल बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं बल्कि एक मां के अधिकारों को भी हनन है। समाज में लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलना चाहिए और लड़का व लड़की में कोई भेदभाव न करते हुये सभी को समान रूप से पूरा अवसर देना चाहिए। जिससे बालिकाओं में हीन भावना दूर हो सके। आज की बालिकाएं ही आगे चलकर अपने परिवार व देश का नाम उज्जवल करेंगी। कार्यक्रम में न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती तनवी माहेश्वरी ठाकुर ने भी छात्राओं को संबोधित करते हुये कहा कि हमारे देश में बालिका दिवस का आयोजन देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री पद पर पदस्थ होने के दिनांक 24 जनवरी-1966 से मनाया जा रहा है। सरकार द्वारा महिलाओं के लिए कई प्रकार के कानून बनाये गये है जिससे वे अपने अधिकारों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकती है। श्रीमती ठाकुर ने कहा कि अनजान व्यक्ति से चाहे भी ही महिला हो किसी से भी किसी प्रकार की बातचीत न करे तथा उनके द्वारा दिए गए किसी भी प्रलोभन में न आये यदि कोई समस्या हो तो अपने माता-पिता को बताऐ। उन्होंने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पर भी विस्तार से जानकारी दी। शिविर में न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री प्रतिभा वास्कले ने छात्राओं को कन्या भू्रण हत्या पर जानकारी देते हुये कहा कि अल्ट्रासाउंड स्कैन जैसी लिंग परीक्षण जांच के बाद जन्म से पहले मां के गर्भ से लड़की के भू्रण को समाप्त करने के लिए गर्भपात की प्रक्रिया को कन्या भू्रण हत्या कहते है। कन्या भू्रण या कोई भी लिंग परीक्षण भारत में गैर-कानूनी है। शिविर में शिक्षा का मूल अधिकार अधिनियम, बाल विवाह प्रतिपेष अधिनियम आदि की विस्तार से जानकारी दी गई। शिविर में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुये सभी छात्राऐं मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया।
शिविर में स्कूल शिक्षकों ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किये। शिविर के अंत में अपर जिला न्यायाधीश/सचिव श्री लीलाधर सोलंकी ने सभी छात्राओं को राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुभकामनाऐं दी और कहा कि ”सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं, सम्मान है“ के शब्दों से शिविर का समापन किया गया। शिविर में स्कूल प्राचार्य महेन्द्र कुमार खुराना, शिक्षक श्री लोकेन्द्र सिंह चौहान, श्री मुस्तफा खांन, बबीता मालवीय, श्री प्रतापसिंह मौर्य उपस्थित रहें शिविर का संचालन शिक्षक श्री हरीश कुण्डल ने किया व आभार श्री सुशीम कुमार जेसवाल ने माना।