प्रवीण साहू ने जिले का मान बढ़ाया-आंचलिक ख़बरें-शिवप्रसाद साहू

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By News Desk
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प्रवीण साहू ने जिले का मान बढ़ाया-आंचलिक ख़बरें-शिवप्रसाद साहू

प्रवीन साहू का सीआरपीएफ में एस आई पद पर चैनित होने पर क्षेत्र गौरवांवित हुआ एवं काफिले के साथ हुआ लोगों ने किया भव्य स्वागत।

सिगरौली, निवास सरई तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत निवास आमहा टोला के प्रवीन साहू का जन्म 17/3/1992 में हुआ
पिता श्री जीतलाल साहू जमुना कालरी में कार्यरत थे जिससे प्रवीण साहू की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय जमुना कालरी जिला अनूपपुर में हुई प्रवीण की शुरुआती दौर से ही खेल कूद में काफी रूचि थी उसके बाद उन्होंने स्पोर्ट्स में अच्छा प्रदर्शन कर नाम कमाया 03 बार नेशनल खेला और 12वीं क्लास में प्रवीण ने 400 मीटर हैडल्स रेस में मध्य प्रदेश की तरफ से नेतृत्व करते हुए वारंगल में नेशनल खेला, क्लास 12 वीं के बाद उन्होंने AIEEE का इंट्रेंस एग्जाम दिया जिसमे ऑल इंडिया लेवल पर उन्होंने अच्छी रैंक प्राप्त की
जिससे प्रवीण साहू को MANIT(मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल) कॉलेज मिला और अपना मैकेनिकल इंजीनियरिंग का ग्रेजुएशन कंप्लीट करते हुए फुटबॉल में उस नेशनल इंस्टीट्यूट का फुटबॉल कैप्टन बनकर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर महारत हासिल करते रहे कॉलेज खत्म होने पर इंजीनियर की जॉब मिली पर उन्होंने 3 महीने जॉब करने के बाद जॉब से रिजाइन दे दिया उसके बाद भी प्रवीण को बहुत सी कंपनीयों के ऑफर मिले लेकिन सभी को नकारते हुए आगे बढ़े क्योंकि प्रवीण ने कुछ और ही निश्चय कर लिया था और निकल पड़ा अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए प्रवीण ने दृणनिश्चय किया की वह देश की रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित करेगें लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था प्रवीण के लगातार प्रयासों के बावजूद भी वह उस मुकाम तक नहीं पहुंच पा रहे थे कई एग्जाम क्लियर कर जॉइनिंग का इंतजार करते रहे लेकिन कुछ ना कुछ परेशानियां सामने आ खड़ी होती और वह उससे वंचित होते रहे आखरी बार उनका प्रयास तब असफल हुआ जब कोविड-19 का प्रकोप पूरे देश को प्रभावित किया बढ़ती उम्र भी प्रवीण के सामने एक समस्या बन रही थी कोरोना महामारी के दौरान वह गांव आ गए जब शिक्षा पूरी तरह से बंद हो चुकी थी वह नि:शुल्क कोचिंग क्लास के माध्यम से क्षेत्र के मेधावी छात्रों से संपर्क कर सुबह से शाम तक लगभग 400 बच्चों को कई सिप्ट में कोविड सावधानियों के साथ पढ़ाने में अपना समय दिए इसके पहले भी वह गांव जब भी आते तो क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर जैसे बिजली पानी सड़क बहुचर्चित दैनिक भास्कर पावर प्लांट गोरगी की समस्या अन्य कई मुद्दों पर संघर्ष करते हुए कई परेशानियों का सामना किए इस बीच क्षेत्र के वरिष्ठ क्षेत्रीय लोगों से उनकी मुलाकात चर्चा हुई और लोगों ने उनकी सराहना के साथ-साथ समझाइश भी दी जिंदगी में कभी रुकना मत बस चलते रहना तुम अच्छा कर सकते हो इस पूरे संघर्ष में परिवार उनके साथ साथ खड़ा रहा और कभी कमजोर नहीं होने दिया
तब प्रवीण ने स्वयं के सिद्धांत से समझौता कर बदलाव करते हुए इंडियन आर्मी में किसी अच्छे दायित्व को प्राप्त करने का निश्चय किया काफी मेहनत करने के बाद वो आज इस मुकाम पे पहुंच चुके हैं की सब इंस्पेक्टर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल गृह मंत्रालय भारत सरकार में चयनित होकर अपने गांव क्षेत्र एवं जिले के नाम साथ साथ अपने माता पिता का नाम रोशन कर एक मिसाल कायम किया। ऐसे होनहार क्षात्र पद पर चयनित होने उपरांत प्रथम आगमन पर दिल्ली से गांव आते समय टिकरी से महुआगांव तक काफीले के साथ रिसीव कर सैकड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी एवं गांव के वरिष्ठ नेता गण ने फूल माला के साथ स्वागत कर उनकी मेहनत और सफलता को बधाई दिए।

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