ध्वजरोहण से हुआ पंच कल्याणक का मंगलाचरण * दमोह। कुण्डलपुर महामहोत्सव के शुभांरभ के अवसर पर पूजन भक्ति के शुभ अवसर पर भक्तों को सुबह आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने दिव्य देशना में कहा कि ध्वजा रोहण के माध्यम से प्रारंभ होने जा रहा है इस सदी का सबसे बड़ा आयोजन जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण वस्तु है, दूर दूर से व्यक्ति भी समोशरण की ओर आकृष्ट हो रहा है। ध्वाजारोहण देखने में तब आनंद आता है जब वह लहराता है, पर जिस माध्यम से यह लहराता है वह हमे दिखाई नही देती, उसके लिए पवन की अवश्यकता होती हैं उसी तरह हम बाहरी स्वरूप देख लेते हैं, वेशभूषा देख लेते हैं किंतु भीतर से रत्नात्रय हैं ,तो हम हवा का काम कर जाते है और यदि बाहर से दिगम्बरत्व हैं तो जीवन में चार चांद लग जाते है। ध्याजारोहण के साथ कार्यक्रम का मंगलाचरण होगा। आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवधा भक्ति भाव से पड़गाहन करके आहार देने का सौभाग्य दमोह निवासी संतोष ईलेक्टिकल के परिजनों को प्राप्त हुआ। *हजारों कलश यात्रा में शामिल हुई महिलाएं दोपहर करीब एक बजे महामहोत्सव में दमोह नगर सहित सम्पूर्ण जिले की महिला मंडल, आदिनाथ बालिका मंडल ने 2 किलो मीटर की कलश यात्रा में सम्मिलित हुई जिसमे हजारों महिलाओं और बालिकाओं के समूह शामिल हुए, पटेरा, हटा, दमोह, गौरझामर, गंजबासौदा के दिव्य घोष आकर्षण का केन्द्र थे। इस अलौकिक दृश्य के बारे में सुबह गुरुदेव ने पहले ही संबोधन कर दिया था। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के जन्म स्थल के निकट जिले कोल्हापुर, जयसिंगपुर से आए 400 सेवक आकर्षण का केन्द्र रहे। कलश यात्रा मंडप में पहुंची तो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं संपूर्ण मुनि संघ, आर्यिका माताजी के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी विनय भैया के निर्देशन में ध्वाजारोहण संपन्न हुआ। ध्वाजारोहण का सौभाग्य रतन लाल जी, अशोक जी पटनी परिवार को प्राप्त हुआ। *विशाल समोशरण को देखकर श्रद्धालु आश्चर्य चकित हो गए। ध्वाजारोहण के बाद इस सदी में आयोजित होने वाले सबसे विशाल कुण्डलपुर महामहोत्सव 2022 में जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने मुख्य कार्यक्रम स्थल पर विराजित हुऐ तो उस अलौकिक दृश्य को देख कर श्रद्धालु आश्चर्य चकित हो गए , ऐसा दृश्य ऐतिहासिक दृष्टि से 2500 वर्ष पूर्व भगवान महावीर के समोशरण का प्रमाण मिलता है। इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु। ध्वाजारोहण संपन्न होने के बाद आर्शीवाद वचन देते हुए गुरुदेव ने कहा कि कोई कार्य करना होता है तो कार्यकर्ताओ का संयोजन होना चाहिए, क्योंकि जब कभी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है तो कहा जाता हैं कि युद्ध स्तर पर काम किया जाता है, ध्वाजारोहण संपन्न होने से पवित्र वस्तुओं की संयोजना हाेती हैं उसे मंगलाचरण कहते है, आप लोगों को जितने गुणा आनंद आया उससे कई गुणा मुझे भी आनंद आया। अब पुण्य इतना इकठ्ठा कर लो कि कोई दूसरी वस्तु नहीं आ पाए, ध्यान रखें संस्कृति जब बड़े बाबा की है तो प्रकृति भी अपने आप अनुकूल वातावरण निर्मित कर रही हैं और जब प्रकृति साथ देगी तो संस्कृति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जाती है। पांच पापो का नाश करके पुण्य का अर्जन करके ही पंच परमेष्ठी की आराधना करते रहना चाहिए। इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बने पूरे भारत देश से आए सभी गुरु भक्त।