कुण्डलपुर महामहोत्सव की हुई शुरुआत-आंचलिक ख़बरें-मुकेश जैन

Aanchalik Khabre
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आज से महामहोत्सव का शुभारम्भ* दमोह।कुण्डलपुर महामहोत्सव में पधारने वाले लाखों यात्रियों हेतु कुंडलपुर समिति ने 09 भोजनशालाओं की व्यवस्था की है, इनमें स्वयंसेवक भोजनालय, त्यागी वृति भोजनालय, इंद्र इंद्राणी भोजनालय और महापात्र भोजनालय सहित सभी श्रद्धालुओं को शुद्ध भोजन उपलव्ध कराने के लिए भोजन शालाओं का निर्माण किया गया है, इन भोजनालयों में प्रतिदिन करीब 25 से 30 हजार लोगों की भोजन व्यवस्था की जाएगी। प्रिन्ट मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन ने बताया कि सारी व्यवस्थाएं सुचारू रूप मंगलवार से प्रारंभ कर दी गईं है। मुख्य आयोजन के लिए 16 से सारी भोजनशालाएं यात्रियों को सुबह से ही संचालित हो जाएगी।
पूजन अर्चन और भक्तांबर पाठ, आचार्य भक्ति के साथ सकलीकरण का कार्य संपन्न कुण्डलपुर महामहोत्सव का शुभारम्भ आज प्रतिष्ठाचार्य ब्रा विनय भैया के निर्देशन में आज याज्ञ मंडल विधान किया गया, इंद्र प्रतिष्ठा, पंच परमेष्ठी,24 तीर्थंकर भगवान, भूत, भविष्य और वर्तमान के भगवानों का पूजन अर्चन किया गया। विधान के अंतर्गत पात्र शुद्धि, सकलीकरण, मण्डप प्रतिष्ठा, नंदी विधान किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रतिष्ठाचार्य से यजमान, यज्ञ नायक और सम्पूर्ण समाज ने निवेदन किया कि आप इस पवित्र कार्य को सआनंद संपन्न करवाए किसकी स्वीकृति के बाद ही मंत्रोचार से धार्मिक क्रियाएं की गई।WhatsApp Image 2022 02 16 at 10.02.38 AM 1
कुंडलपुर में दुनिया के सबसे ऊंचे जैन मंदिर का पंचकल्याणक और कुण्डलपुर महामहोत्सव का शुभारम्भ आज
दमोह। विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ कुंडलपुर में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव आज से शुरू होगा। वसंत पंचमी पर आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने पहली बार हो रहे 08 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव का प्रारंभ किया। भारत के सबसे ऊंचे जैन मंदिर के इस लोकार्पण समारोह और पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के संघस्थ ढाई सौ से अधिक मुनि और आर्यिकाओं के सान्निध्य में आयोजित किया जा रहा है । 23 फरवरी तक होने वाले इस आयोजन में देशभर से लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
दमोह जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर स्थित जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा के मंदिर निर्माण कार्य पूरा हो गया। इसके शिखर की ऊंचाई 189 फीट है। दुनिया में अब तक नागर शैली में इतनी ऊंचाई वाला मंदिर नहीं है। मंदिर की ड्राइंग डिजाइन अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन बनाने वाले सोमपुरा बंधुओं ने तैयार की है। मंदिर की खासियत है कि इसमें लोहा, सरिया और सीमेंट का उपयोग नहीं किया है। इसे गुजरात व राजस्थान के लाल-पीले पत्थरों से तराशा गया है। पत्थर को दूसरे पत्थर से जोडऩे के लिए भी खास तकनीक का इस्तेमाल किया है।
63 मंदिर हैं स्थापित
प्राचीन स्थान कुंडलपुर को सिद्धक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां 63 मंदिर हैं, जो 5वीं-6वीं शताब्दी के बताए जाते हैं। क्षेत्र 2500 साल पुराना बताया जाता है। कुण्डलपुर सिद्ध क्षेत्र अंतिम श्रुत केवली श्रीधर केवली की मोक्ष स्थली है। यहां 1500 वर्ष पुरानी पद्मासन श्री 1008 आदिनाथ भगवान की प्रतिमा है, जिन्हें बड़ेबाबा कहते हैं।WhatsApp Image 2022 02 16 at 10.02.39 AM 1
आचार्यश्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के लिए आवश्यक अधो-संरचनात्मक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित की आज पूरी की जा चुकी है। आयोजन समिति के साथ ही सभी संबंधित विभाग महोत्सव के लिए सुरक्षा, विद्युत, पेयजल, यातायात ,भोजनशाला और अन्य सुविधाएं आज से शुरु हो गई है। 2500 साल पहले कुंडलगिरी आया था महावीर स्वामी का समवसरण तो नाम पड़ गया कुण्डलपुर भगवान महावीर के 500 शिष्य हुए जिनमें इंद्रभूति गौतम के भट्टारक ने भ्रमण किया था। भट्टारक सुरेंद्र कीर्ति ने कुंडलगिरी क्षेत्र से भगवान आदिनाथ की प्रतिमा खोजी थी। तब से यह माना जा रहा है कि भगवान महावीर का समवसरण 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व कुंडलपुर आया था। इस इलाके की पहाडिय़ां कुंडली आकार में होने के कारण पहले इसका नाम कुंडलगिरी था। बाद में धीरे-धीरे इसका नामकरण कुंडलपुर पड़ गया। जो अब सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है। यह क्षेत्र 2500 साल पुराना बताया जाता है।
प्रतिमा के संदर्भ में यह कथा भी प्रचलित
वैसे तो कुंडलपुर में विराजित भगवान आदिनाथ की 15 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा की खोज करने वाले के रूप में भट्टारक सुरेंद्र कीर्ति का नाम आता है। लेकिन एक किवदंती यह भी है कि पटेरा गांव में एक व्यापारी प्रतिदिन सामान बेचने के लिए पहाड़ी के दूसरी ओर जाता था। रास्ते में उसे प्रतिदिन एक पत्थर से ठोकर लगती थी। एक दिन उसने मन बनाया कि वह उस पत्थर को हटा देगा। लेकिन उसी रात उसे स्वप्न आया कि वह पत्थर नहीं तीर्थंकर मूर्ति है। स्वप्न में उससे मूर्ति की प्रतिष्ठा कराने के लिए कहा गया, लेकिन शर्त थी कि वह पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। उसने दूसरे दिन वैसा ही किया। बैलगाड़ी पर मूर्ति सरलता से आ गई। जैसे ही आगे बढ़ा उसे संगीत और वाद्य, ध्वनियां सुनाई दीं। जिस पर उत्साहित होकर उसने पीछे मुड़कर देख लिया। और मूर्ति वहीं स्थापित हो गई। प्रवचन और आहार चर्या* जो नीचे से ऊपर जाता है उसका सम्मान होता है~आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
दमोह। सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में 16 फरवरी से शुरू होने जा रहे इस सदी के अलौकिक पंच कल्याणक के पूर्व दिन संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने संदेश देते हुए कहा कि अच्छे लोग नीचे देख के चलते हैं वे नीचत्व से उठ जाते हैं । वे उच्च कहलाते हैं,दुनिया ऊपर उठना चाहती है लेकिन ध्यान रखो नदी को।संस्कृत में नदी को निम्न गाह कहा गया है, नदी नीचे बहती है, वह सोचती है की यदि सिर्फ सेठ साहूकारों के यहां जायेगी तो ये जो प्यासे गरीब है इनको कोन सहारा देगा। देखो नदी नीचे बहती है पर फिर भी हमेशा साफ-सुथरी रहती है ऊपर से नीचे आने में अपमान होता है किंतु जो नीचे से ऊपर जाता है उसका सम्मान बढ़ता है। गुरु अपने शिष्य से ऊपर देखने को कहते हैं और वे स्वयं उसे नीचे देखते हैं, नीचे देखने पर पूरी धरती निगाह में आती है । मनुष्य को दृष्टि में समता रखनी चाहिए , दृष्टि में समता रखना कठिन है। दृष्टि में सदैव ममता झूलती रहती है उसी में सुख शांति का अनुभव होता है, निगाहें हमेशा भीतर की ओर रखना चाहिए जो हमें शांति की ओर ले जाती है। आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवधा भक्ति भाव से पड़गाहन करके आहार देने का सौभाग्य ब्रा मयूर भैया, मुकेश जैन के परिजनों को प्राप्त हुआ।

कुंडलपुर में पुलिस ने किया मार्च पास्ट
दमोह। कुंडलपुर महामहोत्सव को लेकर विशेष सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर रखते हुए पुलिस पूरी तरह तैयार है। मंगलवार को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवम् मेला प्रभारी शिव कुमार सिंह, आर आई संजय सुर्वंशी ने कुंडलपुर में विशेष ड्यूटी पर भेजे गए पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारियों की बैठक लेकर विशेष दिशा निर्देश दिए। इस अवसर पर महोत्सव सुरक्षा व्यवस्था प्रभारी नरेंद्र बजाज पत्रकार उपस्थित रहे। बैठक के बाद पुलिस बल ने मार्च पास्ट निकालकर शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की।

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