अविनाश चंद्र द्विवेदी के प्रचार में जुटे रमेश चंद्र द्विवेदी तो वीर सिंह पटेल के लिए बाल कुमार पटेल मैदान में
चित्रकूट।मऊ मानिकपुर विधानसभा कई दशकों से चर्चित रही है। यह बुंदेलखंड के मिनी चंबल के नाम से जानी जाती थी। यहां से विधायक डकैतों के इशारे में बनते थे। ददुआ, ठोकिया, रागिया, बबली, गौरी जैसे कुख्यात डकैत इसी विधानसभा के जंगलों में अपना सदन चलाते थे। इस विधानसभा के लिए पहले भी प्रत्याशी एड़ी चोटी का दम लगाया करते थे, लेकिन जिस प्रत्याशी के ऊपर डकैतों की छत्र-छाया होती थी, वही विधायक बनता था। इस बार इस विधानसभा का चुनाव और दिलचस्प देखने को मिल रहा है।
दो चचाओ ने संभाली प्रत्याशियों की कमान, चित्रकूट में डकैतों के मारे जाने के बाद इस विधानसभा में दो चाचा ने कमान संभाल ली है। अपना दल (एस) के प्रत्याशी अविनाश चंद्र द्विवेदी का सियासी अनुभव न मालूम सा है, लेकिन इनके चाचा रमेश चंद्र द्विवेदी का ब्लॉक प्रमुख से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक का सियासी अनुभव रहा है।उधर, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीर सिंह पटेल को टिकट मिला है। वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास टिकट वापस करने लखनऊ पहुंच गए। तभी उनके चाचा पूर्व सांसद बाल कुमार ने कमान संभाली और वीर सिंह को दोबारा मैदान पर उतारा। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इन दोनों प्रत्याशियों के चाचा राजनीति के किंग मेकर कहे जाने वाले हैं।वीर सिंह पटेल ने राजनीत में आते ही जिला पंचायत के चुनाव में मानिकपुर से भारी मतों से जीत हासिल की थी। इसके बाद वीर सिंह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए। चित्रकूट विधानसभा से वीर सिंह एक बार विधायक बन चुके हैं। वीर सिंह का राजनीतिक सफर डकैत ददुआ की हनक पर चलता था। डकैत ददुआ के मारे जाने के बाद वीर सिंह का राजनीतिक करियर दिन-प्रतिदिन घटता रहा, लेकिन इस बार वीर सिंह के चाचा बाल कुमार ने उनकी कमान संभाल ली है।