वीतरागता के बिना आत्मा का कल्याण संभव नहीं- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज-आंचलिक ख़बरें-मुकेश जैन

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दमोह विश्व प्रसिद्ध बड़े बाबा के दरबार मेंआयोजित हो रहे सदी के ऐतिहासिक कुण्डलपुर महामहोत्सव में ज्ञान कल्याणक उत्तर रूप के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं को दिव्य देशना प्रदान करते हुए संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि पंचकल्याणक की काफी मांग थी, स कब होगा यहां पंचकल्याणक, किंतु इसका अब मोक्षमार्ग होने जा रहा है, वीतरागी मृत्यु से नहीं डरता है उसको मुक्ति अथवा सुख भी वांछित नहीं है, आप में से कोई भी नहीं चाहता कि दुख हो जाए, किंतु जीता रहूंगा तो सब चलता रहेगा, आपके जीने के उद्देश्य मेरे जीने के उद्देश से काफी अलग हैं, आप जो नहीं चाहते वही सब कुछ मिलने वाला है, प्रभु के स्वरूप को समझ रहे हो लोग कह रहे हैं, पंडाल की ओर चले जाते तो खचाखच भरा हुआ है, बड़े बाबा के यहां तो चढ़के ऊपर जाना पड़ता है सड़क पर भी घुस-घुस करके जाना पड़ता है जहां देखो वहां कुंडलपुर में मनुष्यों की भीड़ नजर आ रही है। एक घंटा भी नहीं लगता था दमोह के स्टेशन से बड़े बाबा के मंदिर तक आने में आजकल 3 से 4 घंटे लग रहे हैं, लंगड़ा आने वाला व्यक्ति भी उससे जल्दी आ जाए किंतु गाड़ियों में बैठने वाला बहुत लेट आता है। कल मुख्यमंत्री महोदय ने कहा आचार्य श्री यह सब क्या हो रहा है मैंने कहा आप जो चाह रहे थे वही सब तो हो रहा है, कभी-कभी जनता चक्का जाम करती है तो कभी-कभी सरकार चक्का जाम कर देती है। इसी को बोलते हैं यह सब भावों का खेल है, कर्मों का खेल है इसलिए कहते हैं यूं ही जीना क्या जीना है। वे धन्य है जो इस रहस्य को समझ करके जिन्होंने इस पथ पर आगे कदम उठाए हैं इस शरीर का बंधन एक ऐसा बंधन है जिसको फेंकने से मिट नहीं सकते इसको जलाने से सब कुछ मिट जाए ऐसा नहीं है, कई बार जलाया, कई बार मिटाया, किंतु यह फिर उसी में प्रवेश कर जाता है,इसको पूरी तरह समाप्त करने के लिए शरीर के कार्बन को खत्म करना होगा वह वीतरागता के द्वारा ही संभव है, प्रत्येक व्यक्ति इस मार्ग के साथ जुड़ जाएं सबका कल्याण हो यही मात्र सद्भावना है।
जैन दर्शन की मान्यता के अनुसार कुबेर समवशरण की रचना करता है जिसमें भगवान के उपदेश सुनने के लिए बारह कोठे बनाये जाते है। जिसमें गणधर, मुनिराज, कल्पवासी देवियां, आर्यिकाएं एवं श्राविकाएं, ज्योतिषी, भवनवासी, व्यंतर, देव देवियां, चक्रवर्ती राजा एवं मनुष्य तथा पशु, पक्षी आकर भगवान की सर्वोपयोगी अर्द्धमागधी भाषा में लोक के जीवों के कल्याणार्थ धर्मोपदेश सुनते है। भगवान का मुख चतुर्मुख दिखाई देता है। इस अवसर पर कुण्डलपुर कमेटी उपाध्यक्ष देवेन्द्र सेठ, महामंत्री नवीन निराला, समन्वयक डॉ.सावन सिंघई, मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन की उपस्थित रहे।

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