नवी शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर जहां पर हर सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ लगती है तो वही प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं और अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं महाशिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल हो या काशी पीठ गोला मठ मंदिर में भव्य आरती का आयोजन किया जाता है व पूरे मंदिर को दूधिया रोशनी से नहला दिया जाता है शिवरात्रि आने के पहले ही बाबा के दरबार को सजा दिया जाता है है आइए एक प्राचीन मंदिर है। यह पूरा मंदिर पत्थर से बना हुआ है। गोला मठ मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान है और मंदिर के बाहर नंदी भगवान की पत्थर की प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर की दीवारों में आपको नक्काशी देखने के लिए मिलेगी, जो पत्थर पर उकेर कर की गई है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। यहां के लोगों का यह मानना है, कि यह मंदिर एक रात में तैयार किया गया है। आप यहां पर जाकर इस मंदिर की सुंदरता को देख सकते हैंनागर शैली में निर्मित पूर्वाभिमुख, पंचरथी मंदिर की लंबवत योजना में अधिष्ठान जंघा, शेखर एवं तल योजना में गर्भगृह, अंतराल एवं स्तंभों पर आधारित मुख्य मंडप प्रमुख अंग है। मंडप की छत शतदल कमल अलंकरण युक्त है। इसके स्तंभों का निचला भाग अष्टकोण एवं उपरी भाग षोडशकोणीय है। स्तंभ शीर्ष गोलाकार है, जिनके ऊपर भार वाहक कीचक है। मंडप में गर्भगृह किए नंदी आसीन है। गर्भगृह का द्वार सघन रूप से अलंकृत है। द्वार शाखा के निचले भाग में नदी देवियां गंगा, यमुना का अंकन है। रूप स्तंभ में मिथुन युगल तथा सिर दल पर ललाट बिंब में शिव उत्कीर्ण है। गर्भ ग्रह में शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के बाहरी भाग में जंघा प्रतिमाओं से सुसज्जित है। सभी मंदिर कलचुरी कालीन है।