आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं विश्व की महिलाओं को हाथ जोड़कर नमन करती हूं मैं मिर्जा शमीम बैग यही कहना चाहती हूं हम महिलाओं को अपने आप को एवं अपने शक्ति को स्वयं पहचानने की जरूरत है जिस दिन हम अपने को और अपनी शक्ति को पहचान जाएंगे उस दिन हमें कोई भी ताकत हमारी मंजिल की ओर जाने से रोक नहीं सकती क्योंकि हम वह हैं जो हर पीड़ा और कष्ट को सहकर अपने जीवन की कश्ती को तूफानों से बाहर निकाल लेते हैं क्योंकि जिस समय हम 9 महीने के लिए गर्भ धारण करते हैं और जो पीड़ा सहते हैं वह सिर्फ एक महिला ही जान सकती है और उसके बाद प्रसव का समय जिसमें हम जिंदगी और मौत के बीच होते हैं लेकिन आखिर विजय प्राप्त कर लेते हैं इसके बाद और कोई उदाहरण देने की हमें जरूरत नहीं मैं मिर्जा शमीम बैग यह कहना चाहती हूं हम लगातार अपनी जिंदगी में कड़ी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने रास्ते स्वयं निकाल लेते हैं शर्त यह है कि ईश्वर ने हमें जो शक्ति प्रदान की है उसका सही उपयोग करना हमें आना चाहिए आज हम विश्व में हर जगह कार्यरत हैं चाहे छोटा कार्य हो यानी की मोची का या फिर एरोप्लेन चलाने का कहीं पीछे नहीं है हम एक शक्ति हैं और शक्ति कभी पीछे नहीं हो सकती स्वयं महाकाल ने समुद्र मंथन के समय जब हलाला यानी “जहर” निकला था और उन्होंने उसको ग्रहण किया था तब उन्होंने अपनी शक्ति महाकाली को याद किया था और कहा था मेरी शक्ति मुझे आकर बचा लेगी और हुआ भी ऐसा ही शक्ति आई महाकाली और महाकाल के गले पर ही अपने हाथ लगा कर जहर को रोक दिया था उसका मतलब महाकाल ने स्वयं यह बताया है की विपत्ति में केवल शक्ति काम आती है मैं शमीम मिर्जा फिर कहना चाहती हूं हम एक शक्ति हैं हमें कोई हरा नहीं सकता आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं इतना ही कहूंगी इसके पहले राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैंने एक लेख लिखा था जिसका नाम था” मैं जननी हूं “जो कि मेरी फेसबुक पर लगा हुआ है उसको भी आप सभी देखे! लेखिका: मिर्जा शमीम बैग, इंदौर (एम.पी)
जय हिंद जय भारत