झाबुआ जिले मैं भगोरिया पर्व आदिवासी संस्कृति में विशेष महत्त्व रखता है, सभी खुशी और पारंपरिक तरीके के साथ इस पर्व को मनाते हैं, लेकिन कुछ मनचलों की हरकतों ने, झाबुआ जिले को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पारा भगोरिया पर्व में मनचलों ने, किन्नरों के साथ छेड़छाड़ की, लेकिन इस बार मनचलो का सामना किन्नरों से हुआ, जिन्होंने हाथों-हाथ मनचलो की धुलाई कर दी। पिछले दिनों 12 मार्च को भी मेघनगर भगोरिया हाट में, लड़के और लड़कियों के बीच में छेड़खानी को लेकर मारपीट हुई थी। इस तरह की घटनाओं से आदिवासी संस्कृति की छवि धूमिल होती है, क्या इस तरह की हरकत नशे और अज्ञानता के कारण होती है, या फिर छेड़छाड़ की हरकत करने वालों को किसी का डर नहीं। आजकल कुछ घटनाए तो सोशल मीडिया के द्वारा, तुरंत वायरल हो जाती है, लेकिन कई घटनाएं सामने नहीं आ पाती, जिसका खामियाजा पीड़ित को भुगतना पड़ता है। क्या इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा।