रात 12:00 के बाद से ही महिलाओं ने उत्साह के साथ, शीतला माता की पूजा अर्चना कर, बड़े ही धूमधाम से शीतला सप्तमी का त्यौहार मनाया। शीतला माता मंदिर में पूजा के लिए, महिलाओं की काफी भीड़ थी। सभी ने बारी-बारी पूजा की और, अपने घर की सुख समृद्धि, परिवार में सभी स्वस्थ रहें घर में शीतलता बनी रहे, ऐसी माता से प्रार्थना करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शीतला सप्तमी से ही ग्रीष्मकाल प्रारंभ हो जाता है।शीतलामाता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है। माता पर जल चढ़ाकर, तैयार किए गए ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है। इस त्यौहार की विशेषता है कि, देवी को भोग लगाने वाले सभी भोजन को 1 दिन पूर्व ही बना लिया जाता है। दूसरे दिन माता को भोग लगाया जाता है। माता की पूजा के बाद, महिलाएं अपने घर के बाहर हल्दी के छापे लगाती हैं, जिससे घर में सब शुभ हो और बुराई घर से दूर रहे। शीतला माता को चढ़ाए हुए जल मैं से बचे हुए जल को, पूरे घर में छीटते हुए, माता का आशीर्वाद लेकर घर को शुद्ध किया जाता है। आज के दिन सभी भक्त ठंडे भोजन का ही सेवन करते हैं।