लेखिका नूतन राय मुंबई महाराष्ट्र
काट कई सदियों का वनवास
अवध में आए हैं श्री राम ।
भरत शत्रुघ्न लखन सिया संग
आए हैं श्री राम।
सखी सब मंगल गाओ रे
खुशी के दीप जलाओ रे
कई सदी के बाद है आई
यह शुभ घड़ी सुहानी।
सजी अयोध्या नगरी संग में
सजी है सरयू रानी।
धन्य हुई भारत भूमि
हुई धन्य अवध की नगरी
राम नाम का नारा गुंजे
हर गली हर नगरी
सखी सब मंगल गाओ रे
खुशी के दीप जलाओ रे
जो है अनंता जगत नियंता
उसकी सुनो कहानी
कभी ना होगी फिर तुमको
अपनी किस्मत से ग्लानि ।
अपने कर्म लिखे को थे
वह भी टाल ना पाए।
कर्मों का फल भोगने को
मानव बनकर धरा पे आए।
सखी सब मंगल गाओ रे
खुशी के दीप जलाओ रे ।।
राजतिलक की हुई तैयारी
जाना पडा वनवास
फिर भी किया ना राम ने
एक पल मन उदास।
बोले जाग उठे है जैसे
मेरे सोये भाग्य
लखन सिया संग राम जी
चल दिए महल को त्याग ।
सखी सब मंगल गाओ रे…।
राज महल में जनम लिया
वनवास में जीवन बिताए ।
कभी शिक्षा कभी गुरु की सेवा
कभी पिता के वचन निभाए।
चौदह वर्ष वन में रहकर
श्री राम बहुत दुःख पाए।
हर विपदा से लड़कर फिर
से राम अवधपुर आए।
सखी सब मंगल गाओ रे..।
सुनी अवध की गलियों में
छा गई फिर खुशहाली।
दीप जले हर गली नगर
मनने लगी दिवाली।
राजतिलक फिर हुआ राम का
सजी अयोध्या नगरी।
वर्षा फूल धरा अंबर से
मानो हो रही फूल की बदरी ।
सखी सब मंगल गाओ रे…………………।
कई सदियों के बाद अवध में
फिर से खुशियां आई ।
भारत माता का मान बढ़ाने
आए फिर रघुराई।
राम कृपा बरसेगी सब पर
राम राम सब बोलो ।
जगत नियंता रघुनंदन की
जय जय जय सब बोलो ।
सखी सब मंगल गाओ रे.
श्री राम अवधपूर आए है
घर घर खुशियों के दीप जले मुरझाए वन उपवन के
आज है सारे फूल खिले ।।
जिस दिन बाबर ने मंदिर ऊपर मस्जिद का निर्माण किया
उस दिन श्रीराम ने छोड़ अवध
बैकुण्ठ धाम निवास किया।।
श्री राम गए संग सीता गई
उस दिन से अवध वीरान हुआ फिर विश्व विजेता भारत यह जाने कितनों का दास हुआ ।।
जिस दिन से प्रभु श्रीराम गए भारत मां घर में कैदी बनी
फिर राम कृष्ण की धरती ये मुगल सत्ता की दास बनी।।
पृथ्वीराज चौहान
महाराणा प्रताप
सा बलशाली
तन मन धन से कर रहे थे मातृभूमि की रखवाली।।
कुछ गद्दार कूपूतो के
कारण भारत गुलाम हुआ
मुगल सत्ता का भारत में
फिर चारों तरफ विस्तार हुआ।।
जाने कितनों ने आ करके
इस देश को लूटा खाया है
फिर भी श्री राम की नगरी को बर्बाद ना कर ने पाया है ।।
भूलेगा ना इतिहास कभी
वीर शिवा की कुर्बानी
मातृभूमि की रक्षा हेतु
मर मिटी थी झांसी की रानी।।
सदियों तक भारत में फिर
अंग्रेजों ने राज किया
फिर भारत के वीर सपूतों ने भारत मां को आजाद किया।।
कलयुग में राम और रावण का कई सदियों तक संघर्ष चला फिर विजयी प्रभु श्रीराम हुए घर-घर खुशियों का दीप जला।।
शत नमन मेरा युगपुरुष तुम्हें भागीरथ बनकर आए हो
श्री राम लखन संग सीता को वनवास से फिर घर लाए हो।।