चित्रकूट।जनपद के पाठा क्षेत्र में गर्मी की शुरुआत होते ही पानी का संकट खड़ा हो जाता है। पाठावासी बैलगाड़ी व साइकिलों में ड्रम लादकर कई किमीं दूर से पानी लाते हैं। वर्षों से पेयजल समस्या निदान को पूर्ववर्ती सरकारों से लेकर मौजूदा सरकार निरंतर प्रयास किए हैं। डीएम ने पेयजल संकट दूर करने के लिए विभिन्न माध्यमों से पेयजल सुलभ कराने के लिए अधिकारीयों की टीमे गठित की है। जो लगातार क्षेत्रों में जाकर निदान करा रहे हैं।
गौरतलब हो कि लंबे अरसे से पाठावासी पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। इस विकट समस्या पर पुराने लोगों में कहावत भी बनी थी कि भंवरा तोरा पानी गजब कर जाए, गगरी न फूटे चाहे खसम मर जाए। 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 इन्दिरा गांधी ने पाठावासियों को पानी के संकट से निजात दिलाने को पाठा जल कल योजना चलाई थी। इस योजना से भी पाठावासियों की प्यास नहीं बुझी। आए दिन पानी को लेकर ग्रामीण मुख्यालय की चौखट में आकर गुहार लगाते है।
वर्तमान प्रदेश सरकार ने पानी की समस्या निदान के लिए जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल के तहत पेयजल आपूर्ति को तीन बडी परियोजनाओं की शुरूआत की है जो लगभग पूर्ण होने की कगार पर है। डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने पाठा क्षेत्र का निरीक्षण कर अफसरों की टीम गठित की है। जिन गांवों में पानी की समस्या अधिक है वहां प्रधान के माध्यम से टैंकरों से पानी भेजा रहा है। इसके अलावा खराब हैंडपंपों व सरकारी नलकूपों को भी चालू कराकर पेयजल सुलभ कराया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी अमित आसेरी लगातार पाठा क्षेत्र में भ्रमण कर पेयजल समस्याओं से रूबरू होकर संबंधित लोगों को निर्देश दे रहे हैं। उन्होंने गोपीपुर, सकरौंहा, ऊंचाडीह के मजरा टेढ़वा में पहुंचकर जल संकट के निस्तारण के संबंध में जिला विकास अधिकारी व उपायुक्त मनरेगा के साथ स्थलीय निरीक्षण किया है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए है कि ग्रामीणों को जल्द पेयजल मुहैया कराया जाए। इस दौरान उन्होंने विद्यालय का निरीक्षण कर जन समस्याएं भी सुनी है।

