उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो सकते हैं अस्थमा रोगी-आंचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

News Desk
By News Desk
2 Min Read
logo

 

इन्हेलर के इस्तेमाल से डरने की जरूरत नहीं

चित्रकूट।अस्थमा (दमा ) की बीमारी होने पर घबराने की जरूरत नहीं है. यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। समय रहते बीमारी की पहचान होने पर, इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बीके अग्रवाल ने दी।
डा. अग्रवाल ने बताया कि द ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार, भारत में 1.30 करोड़ की जनसंख्या में से छह प्रतिशत बच्चे एवं दो प्रतिशत युवा अस्थमा से पीडि़त हैं। अस्थमा एक एलर्जिक बीमारी है। धूल, धुआं या किसी भी प्रकार की एलर्जी के कारण सांस की नालियों में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। वैसे तो यह अनुवांशिक बीमारी है और एलर्जी से बढ़ती है पर कुछ ऐसी सामान्य बातें हैं, जो इसको बढ़ाने का काम करते हैं। धूल, धुआं, बदलता मौसम, जंक फूड, तंबाकू का धुआं, ठंडा पानी दमे के लक्षणों को बढ़ाता है। बताया कि इस वर्ष की थीम क्लोसिंग गेप्स इन अस्थमा केयर है। बालरोग विशेषज्ञ डॉ. एके सिंह ने बताया कि दमा आठ से 10 फीसदी बच्चों को प्रभावित करता हैप् अधिकतर बच्चों में यह बीमारी बड़े होते होते खत्म हो जाती है। छाती परीक्षण से बीमारी का आसानी से पता किया जा सकता है। इसके उपरांत नियमित इन्हेलर से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
—–अस्थमा के लक्षण—-
सांस लेने में तकलीफ, पसलियों का तेज चलना, खांसी (विशेष रूप से रात के समय हंसी और सांस लेते वक्त होना घरघराहट), सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज निकलना, सांस की तकलीफ और छाती में जकड़न महसूस होना दमे की बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा बच्चों को लंबी खांसी या बार-बार खांसी का होना, दौड़ने या सीढि़यां चढ़ने पर सांस फूलना या खांसी आने पर अस्थमा की जांच करानी चाहिए।

Share This Article
Leave a Comment