मप्र के गुना में 3 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या करने वाले शिकारियों का एनकाउंटर किया जा रहा है. जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. गुना निवासी कृष्ण कुमार रघुवंशी ने CGM कोर्ट में गुना पुलिस को पार्टी बनाते हुए याचिका दायर की है. याचिका में गुना एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हत्या, सबूत मिटाने, रसूखदार लोगों को बचाने की जांच के आदेश देने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार रघुवंशी का कहना है कि पुलिस ने न्यायालय को अपने कॉन्फिडेंस में क्यों नहीं लिया ? पुलिस चाहती तो न्यायालय से बात करते. अपनी याचिका में कृष्ण कुमार ने यही बात उठाई की है, कि क्यों न्यायालय से किसी भी तरह की परमिशन नहीं ली गई थी ? याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस खुद ही जज बन गई. जबकि इस मामले में न्यायालय में वरिष्ठ जज बैठे हैं.
यह माना जा सकता है कि न्यायालय प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन जब पुलिस किसी को शूटआउट कर रही है तो इसका यह मतलब नहीं कि वह सही है और जिस व्यक्ति को वह मार रही है वही अपराधी है. याचिकाकर्ता ने यह भी जोड़ा की पुलिस को न्यायालय के गाइडलाइन के हिसाब से चलना चाहिए.
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बता दें कि 13-14 मई की दरमियानी रात करीब 3 से 4 के बीच पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि कुछ शिकारी काले हिरन और मोर का शिकार सगाबरखेड़ा के जंगल में कर रहे हैं. जिस पर पुलिस की रात्रि कालीन गस्त में मौजूद लोग वहां पहुंचे. इस दरमियान शिकारी पक्ष की तरफ से पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. इस मुठभेड़ के दौरान 3 पुलिसकर्मी शहीद हुए जिनमें एक SI और दो आरक्षक थे. इस पूरी घटना क्रम में गाड़ी का ड्राइवर बच निकला और उसे जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.
इसके बाद पुलिस ने सबसे पहले नौशाद खान की लाश को उसी के घर से बरामद किया. जैसा कि पुलिस का दावा है. उसके बाद ही नौशाद के घर को नेस्तनाबूद कर दिया गया. फिर शाम को शहजाद खान का एनकाउंटर किया गया. इस एनकाउंटर के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को और पकड़ा, जिनको घटना स्थल पर शिनाख्त कराने के लिए ले जाया जा रहा था.
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उसी दौरान पुलिस के मुताबिक अपराधियों ने गाड़ी का स्टेयरिंग खींच दिया और पुलिस की बंदूक छीन कर पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी और भागने की कोशिश की. जिसमें बजरंगढ़ थाना प्रभारी अमित अग्रवाल को चोट लगी. अमित अग्रवाल और उसकी टीम ने अपराधियों को भागने नहीं दिया और उन लोगों को पैर में गोली मारकर रोका गया. जिसके बाद अपराधियों को आरोन न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
इस पूरे घटनाक्रम को अगर ध्यान से देखें तो ऐसे कई अनसुलझे सवाल है, जिनका जवाब अभी तक पुलिस ना तो दे पाई और शायद पुलिस के पास है भी नहीं.
जैसे रात्रि गश्त के दौरान पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने बताया गया कि 3 से 4 टीमें रवाना की गई थी और शिकारियों को पकड़ने के लिए घेराबंदी की गई थी. लेकिन जब शिकारियों के द्वारा तीन पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाई जा रही थी, तो यह टीम कहां चली गई थी. वो उन्हें बचाने के लिए मौके पर क्यों नहीं पहुंची ?
पुलिस टीम में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो जाने के बाद एक ड्राइवर अकेला कैसे बच गया. यदि शिकारियों ने जानलेवा हमला किया था, तो ड्राइवर क्यों बच गया ?
आखिर यह ड्राइवर पुलिस का था भी या नहीं ?
सुबह से ड्राइवर इस तरह से खुद को दिखा रहा था जैसे उसको काफी चोटें आई हैं. जबकि उसे केवल हाथ में चोट लगी थी ?
सुबह तक पुलिस के द्वारा किसी भी गाड़ी की बरामदगी नहीं बताई गई थी, जबकि बाद में 5 से 6 गाड़ियों को बरामद करना बताया गया ?
ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब उसी क्षेत्र का कोई शिकारी शिकार करता है और पुलिस टीम के द्वारा घेराबंदी की जाती है, तो या तो वह सरेंडर कर देता है या फिर किसी सोर्स के द्वारा मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करता है. यह कभी नहीं देखा गया कि लोकल व्यक्ति के द्वारा पुलिस पर कभी भी फायरिंग की गई है. यह पहली बार था जब लोकल व्यक्तियों के द्वारा पुलिस पर फायरिंग की गई और तीन पुलिसकर्मी उस में शहीद हुए.
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नौशाद की पत्नी ने दावा है कि पुलिस उसके पति को यह बोल कर ले गई थी कि उसकी धड़कन तेज है और बीपी बढ़ गया है. इसलिए अस्पताल ले जा रहे हैं. उसके बाद अचानक नौशाद की लाश सबके सामने दिखाई जाती है ?
कई मंत्रियों के द्वारा यह ट्वीट किया गया और कहा गया कि 3 से 4 लोगों का एनकाउंटर हो चुका है. जबकि हकीकत यह है कि नौशाद जिसकी मौत पुलिस एनकाउंटर के द्वारा रात में ही हो गई थी उसके बाद केवल शहजाद का ही एनकाउंटर रात के समय में जंगल में किया गया, तो फिर मंत्रियों के द्वारा इस तरह की बातें कैसे सामने ?
पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस अधीक्षक और पुलिसकर्मियों की बातों में समानता भी नजर नहीं आई. आखिर ऐसा क्यों हुआ?
आज सुबह से बजरंगगढ़ थाना पूरी तरह से बंद रखा गया. जबकि घटना के तुरंत बाद पुलिस अधीक्षक गुना पूरे दिन के लिए बजरंगढ़ थाने में ही रहे आखिर ऐसा क्या था जो पुलिस छुपाना चाह रही थी ?
आज शाम की घटना के बाद पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने बताया कि आरोपियो को घटनास्थल पर ले जाया जा रहा है, तो फिर ऐसा क्या हुआ कि गाड़ी अचानक पलट गई और आरोपितों की पैरों में पुलिस को गोली चलानी पड़ी ?
ऐसे कई और सवाल भी हैं, जिनका जवाब ना तो पुलिस दे रही और ना ही किसी और के पास है. अब देखना होगा कि इसका अंत क्या होता है ?