‘‘स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न की अपरिहार्य भूमिका’’
‘‘प्राकृतिक खेती की विधाओ को जमीन पर उतारने की महती आवष्यकता – झाबुआ जिले में 18 मई को प्रषिक्षण का आयोजन’’
‘‘प्राकृतिक कृषि के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष की समझ के साथ जिले में खेती की भरपूर संभावनाऐं’’
‘‘ शन्य बजट प्राकृतिक कृषि पद्धति विषय पर जिला स्तरीय प्रषिक्षण का आयोजन‘‘
‘‘षून्य बजट प्राकृतिक खेती का शंखनाद- जिला स्तरीय प्रषिक्षण आयोजन‘‘
झाबुआ, 18 मई, 2022। प्रकृति के निकट रहने वाले झाबुआ जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष की बेहतर समझ विकसित करते हुऐ जमीन पर उतारने की भरपूर संभावनाऐं है। कृषिगत शासकीय अमले के साथ-साथ जिले के किसानों को प्रचलित खेती पद्धति के स्थान पर प्राकृतिक खेती की ओर रूझान बढाने का समय आ गया है। प्रकृतिजन्य कृषिगत संसाधनों के बेहतर समन्वय और युक्तीयुक्त दोहन से न केवल खेती किसानी में लागत को कम किया जा सकता है, बल्कि गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ बेहतर आय भी श्रृजित की जा सकती है। जिले के बाषिंदो को जल संरक्षण और संर्वधन की छोटी-छोटी युक्तियों को बडे पैमाने पर अपनाते हुऐ पेड पौधों की स्थानीय प्रजातियों का रोपण करना चाहिऐ। आज के समय में भागदौड भरी जीवनचर्या में आम नागरीक का बेहतर स्वास्थ्य एक अमूल्य निधि है। व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य संर्वधन में किसान समुदाय की अपरिहार्य भूमिका है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलो में रहने वाले परिवारो में छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न उत्पादित कर किसान एक अच्छे स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में अपरिहार्य भूमिका निर्वाहित कर सकता है। एक जिम्मेदार भारतीय नागरीक होने के नाते हम सभी का मौलिक कर्तव्य है कि हम आने वाले पीढी़ के लिये विरासत में संसाधनो से सम्पन्न धरा हस्तगत करें। प्राकृतिक खेती पद्धति पर आयोजित प्रषिक्षण में अपने उद्गार व्यक्त करते हुऐ जिले के कलेक्टर सोमेष मिश्रा ने कृषिगत विभागो के अमले और किसानो से जिले में प्राकृतिक खेती को आत्मसात करने का आव्हान किया।
मध्यप्रदेष में प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने और बढावा देने के लिये प्रदेष के सभी 52 जिलो में सिलसिलेवार प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। इसी कडी में प्राकृतिक खेती पद्धति विषय पर झाबुआ जिले में उच्च स्तरीय प्रषिक्षण का आयोजन दिनांक 18 मई 2022 को आयोजित किया गया। गुजरात राज्य के प्राकृतिक खेती विषेषज्ञ डॉ. डी.एल.पटेल ने मास्टर ट्रेनर के रूप में जिले के किसानो और कृषि, उद्यानिकी, पषुपालन, मण्डी जैसे विभागो के मैदानी अमले को प्रषिक्षण देते हुऐ प्राकृतिक खेती के सिद्धांतो की व्यावहारिक रूप में व्याख्या की। डॉ. पटेल ने प्राकृतिक खेती अपनाने के कारणों और इससे होने वाले दूरगामी लाभो पर भी प्रतिभागीयों को अवगत कराया। वर्तमान में घातक रसायनो के उपयोग के बल पर प्रचलित खेती किसानी के तरिको से होने वाले दूरगामी दूष्परिणाम से सचेत करते हुऐ प्राकृतिक खेती की महत्ता आवष्यकता और संभावना को सटीकता से रेखांकित किया। प्रषिक्षण के दौरान किसानो और मैदानी अमले की प्राकृतिक खेती से संबधित जिज्ञासाओं और समस्याओं का भी सरल स्वरूप में समाधान प्रस्तुत किया। प्रषिक्षण के दूसरे सत्र में मास्टर ट्रेनर डॉ. पटेल और उनके सहयोगी मयंक सुतार द्वारा प्राकृतिक खेती के आधारभूत अवयवों पर प्रायोगिक प्रषिक्षण भी दिया गया। गोबर, गौ-मूत्र, गुड़, बेसन, चूना, सजीव मिट्टी के साथ-साथ नीम, करंज, धतुरा, सीताफल, पपीता, अरण्डी, अमरूद इत्यादि पत्तीयों के संयोजन से जीवांमृत, बीजांमृत, घनजीवांमृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र का सजीव ढंग से निर्माण कर बताया।
प्रातः 10ः30 बजे से देर शाम तक चले प्रषिक्षण के उद्घाटन सत्र में स्वागत उद्बोधन जिले के उप संचालक कृषि ने दिया। कार्यक्रम संचालन गोपाल मुलेवा ने किया। प्रषिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आई.एस.तोमर, परियोजना संचालक आत्मा गौरीषंकर त्रिवेदी, सहायक संचालक उद्यानिकी अजय चौहान, सहायक संचालक एस.एस.मोर्य, एच.एस.चौहान, एस.एस.रावत, एल.एस.चारेल, एम.एस.धार्वे सहित ब्रजेष गोठवाल, मनुएल भाबोर, समय यादव ने अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज की। प्राकृतिक खेती पर सुनियोजित स्वरूप में जिला स्तर पर आयोजित इस प्रथम प्रषिक्षण में 200 प्रतिभागीयों द्वारा सहभागिता की गई।

