शासन के आदेश कि उड़ रही धज्जियां गांव गांव भी चल रही पैकारिया-आंचलिक ख़बरें-रमेश कुमार पाण्डे

Aanchalik Khabre
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शराब दुकान में एमआरपी से अधिक लिए जा रहे दाम ग्राहकों को नही दिया जा रहा बिल

 

मध्यप्रदेश के कटनी जिला अंतर्गत बरही क्षेत्र में शराब की अवैध पैकारी अब आम हो चली है। कस्बों से लेकर गांव गांव तक खुलेआम दो पहिया और चार पहिया वाहनों मे शराब की अवैध सप्लाई करवाई जा रही है। आलम यह है कि कोई गली और मोहल्ला ऐसा नहीं बचा है जहां हर ब्राण्ड की शराब सुलभ न हो पान और चाय की गुमटियां तो जैसे मयखाने बन गई हैं, यही हाल किराना दुकानो का है जहां शाम होते ही सुरा प्रेमियों का जमघट लगने लगता है सोमरस के सांथ उन्हें वहाँ पर पानी आमलेट और नमकीन आदि भी मुहैया करा दी जाती है। यह दौर आधी रात के बाद तक चलता रहता है। इस दौरान वहां से खाकी वर्दी और सफेदपोश दोनो प्रकार के प्राणियों का गुजरना भी होता है परंतु म्यूचुअल अण्डस्टेण्डिंग ऐसी कि ना बेंचने, ना देखने और ना हो पीने वालों को इससे कोई दिक्कत महसूस होती।

आबकारी विभाग के निजी स्वार्थ और ठेकेदारों की कमाई के चक्कर में युवा पीढ़ी नशे में डूबती जा रही है। एक तो बेरोजगारी, ऊपर से आर्थिक तंगी से परेशान लोगों को गली-गली मे बिक रही शराब अपनी ओर खींच रही है। यहां-वहां से थोड़े बहुत पैसे इकट्ठे होते ही बड़े-बुजुर्गों के साथ किशोर भी इन जगहों की ओर दौड़ पड़ते हैं। कई गावों में तो महिलाओं और छात्रों को नशे का व्यसन तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है बुरी आदत को पूरा करने के लिये शराबी चोरी, मारपीट और लूट जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि बरही क्षेत्र से सटे गांवो में भी चल रहे शराब के काले कारोबार की
जानकारी जिम्मेदारों को है। हां ये जरूर है कभी जब पानी सिर से ऊपर बहने लगता है तो विभागीय अमला जांच के लिये निकल पड़ता है। इस दौरान भी उनका हण्टर रसूखदार ठेकेदार और उनके गुर्गों की बजाय गरीबों और आदिवासियों पर चलता है। अफसर महुआ लाहन और कच्ची शराब के मटके फोड़ कर अपना दायित्व पूरा कर लेते हैं।

सज्जनो का रहना दूभर आय दिन क्षेत्र का बिगड़ रहा माहौल

जगह-जगह शराब उपलब्ध होने के कारण गांव और कस्बों में सज्जनो का रहना दूभर हो गया है।बताया जाता है कि गले तक शराब डकारने के बाद पियक्कड़ों की धमाचौकड़ी शुरू हो जाती है। नशे में झूमते और लुड़कते लोग जोर-जोर से अश्लील भाषा और गाली गलौज करते हुए यहां से वहां गुजरते हैं। जिससे आम नागरिकों विशेष कर बच्चियों, महिलाओं व उनके अभिभावकों को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है फिर रिपोटा रपाटी कि नौमत आ जाती है जहाँ पर तरह तरह कि परेशानियो का सामना करना पड़ता है

एमआरपी से अधिक रेट लेकर भी नही दिया जा रहा बिल

गत महीनों पूर्व आबकारी विभाग द्वारा ही एक आदेश जारी किया गया था जिस आदेश में साफ साफ दर्शाया गया था कि जो कस्टमर शराब लेता है उसे बिल दिया जाए और जितना एमआरपी लिखा है उसी रेट पर शराब दी जाए लेकिन बरही कि अंग्रेजी शराब कि दुकान में देखा जा रहा है कि कस्टमरो को खुल्ला लूटा जा रहा है यहां तक कि चहरा देख कर रेट लिया जा रहा है यदि इसको लेकर कोई कमेंटबाजी करता है तो उपस्थित शराब कर्मचारी गुंडागर्दी तक पर उतारू हो जाते हैं और हों भी क्यो न ऊपर से लेकर नीचे तक सेटिंग जो रहती है एक फोन में सब काम हो जाता है

सीएम हेल्पलाइन में बिना शिकायत कर्ता के जानकारी बैगर ही डाल दिया जाता है निराकरण

जब किसी शिकायत कर्ता द्वारा इस सम्बंध में शिकायत दर्ज करवाई जाती है तो बिना शिकायत कर्ता के सूचित किये ही पोर्टल में विभाग द्वारा निराकरण डाल दिया जाता है शिकायत कर्ता को कुछ पता नही चल पाता है सवाल लाजिमी है कि जब सब कुछ सही है तो बिना शिकायत कर्ता को बताए क्यो निराकरण डाल दिया जाता है शिकायत कर्ता के समक्ष जांच होनी चाहिए आखिर इतनी जल्दबाजी क्यो हला कि इसकी वजह निकलकर सामने आ रही है कि शिकायत एल 3.4 तक न पहुंच पाए

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