नीट-पीजी 2023 बाहर हो जाएंगे मध्य प्रदेश के फाइनल ईयर के मेडिकल छात्र-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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प्रदेश के मेडिकल 1 साल बचाने के लिए 2 विकल्प कॉलेजों के साल 2022 के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स नीट-पीजी 2023 से बाहर हो जाएंगे। वजह यह है कि अभी तक फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स का रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। इस कारण इंटर्नशिप की शुरुआत भी नहीं हुई है। रिजल्ट आने के बाद जुलाई में एक साल की इंटर्नशिप शुरू होगी। ऐसे में इन छात्रों की इंटर्नशिप जुलाई-2023 तक पूरी हो पाएगी। नीट-पीजी कोविड से पहले तक जनवरी में ही होता आया है। उधर, राजस्थान व महाराष्ट्र में सेशन समय पर चल रहा है। फाइनल ईयर के परिणाम भी आ चुके हैं।
नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इसे फिर से जनवरी में लाना चाहता है। अब अगर जनवरी में एग्जाम हुआ तो फाइनल ईयर के छात्रों की इंटर्नशिप पूरी नहीं हो पाएगी और वे नीट पीजी-2023 से बाहर हो जाएंगे। वहीं अगर एनबीई मार्च-अप्रैल तक नीट पीजी करवाता है, तब भी ये छात्र बाहर ही होंगे। पीजी एंट्रेंस में इससे अधिक देरी करने पर देश भर के मेडिकल कॉलेजों में पीजी का सेशन देरी से शुरू होगा। इस साल भी इंटर्नशिप पूरी नहीं होने के कारण कई राज्यों के करीब सात हजार छात्र नीट पीजी-2022 से बाहर हो गए थे। नीट पीजी और इंटर्नशिप पूरी होने की डेडलाइन एनबीई की ओर से तय की जाती है। वहीं मेडिकल कॉलेजों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं संबंधित राज्य की मेडिकल यूनिवर्सिटी करवाती है।
ढाई हजार स्पेशलिस्ट
डॉक्टर्स मिलेंगे देरी से
1 इंटर्नशिप कर रहे छात्रों को एनबीई नीट-पीजी • 2023 का अवसर दे और काउंसलिंग के बाद उन्हें अलॉटेड मेडिकल कॉलेज इंटर्नशिप पूरी होने के बाद ज्वॉइन करने की सहूलियत प्रदान करे। पीजी की काउंसलिंग में ही दो माह का समय निकल जाता है। इन दो माह में छात्र इंटर्नशिप भी कर पाएंगे।
2. पीजी सीट्स अलॉट होने के बाद छात्र को शेष केवल इंटर्नशिप व पढ़ाई में समन्वय बैठाना होगा।
प्रदेश को होगा यह नुकसान अगर एमपी के छात्र साल 2023 की नीट पीजी के लिए पात्र नहीं होते हैं तो प्रदेश को करीब दो से ढाई हजार स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स देरी से मिलेंगे। इसका सीधा असर चिकित्सा व्यवस्था पर आएगा।
जुलाई में इंटर्नशिप शुरू होती है तो तय है कि फाइनल ईयर के छात्र नीट पीजी से वंचित हो •जाएंगे। अब एनबीई अगले साल का पीजी एंट्रेंस अगस्त में करवाए, जो कि मुश्किल है। ऐसे में छात्रों को एक साल का नुकसान हो सकता है। केन्द्र व राज्यो की चिकित्सा एजेंसियों को ही हल निकालना होगा। – आकाश सोनी, चीफ एडवाइजर जेडीए यूजी

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