शिविर में दिया जाएगा विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण
चित्रकूट: दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के गुरुकुल संकुल सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के शैक्षणिक परिसर में गुरुवार को सात दिवसीय बच्चों के बहुआयामी बनाने के लिए व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्घाटन रामायणी कुटी के महंत रामहृदयदास महाराज, कामता हायर सेकंडरी स्कूल के पूर्व प्राचार्य श्रीधर त्रिपाठी, डीआरआई के संगठन सचिव अभय महाजन, शिविराधिकारी समाज शिल्पी दंपत्ति वीरेंद्र चतुर्वेदी व छाया चतुर्वेदी ने पं. दीनदयाल एवं राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के चित्र पर दीप प्रज्जवलन कर किया।
शिविर में संगठन सचिव अभय महाजन ने बच्चों को जीवन में हमेशा सत्य बोलने, लड़ाई-झगड़ा न करने, मिल-जुल कर प्रेम से और निर्भय होकर रहने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शिविरों से बच्चों में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों का विकास होता है तथा उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा उजागर होती है। कामता हायर सेकंडरी स्कूल के पूर्व प्राचार्य श्रीधर त्रिपाठी ने भारत के गौरवशाली अतीत से परिचय कराते हुए बच्चों को उनके कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी। रामायणी कुटी के महंत रामहृदय दास ने भी बच्चों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हे प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्शों से शिविरार्थियों को अवगत कराया। शिविर के व्यवस्था प्रमुख कालिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि शिविर में सामूहिक, शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रमों के साथ 10 विविध कलाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों द्वारा शिविरार्थियों को अलग-अलग समूहों में दिया जाएगा। जिसमें हारमोनियम, ढोलक गायन, नृत्य, चित्रकला, गोबर कला, संस्कृत संभाषण, अंग्रेजी संभाषण तथा कंप्यूटर आदि में प्रशिक्षित किया जाएगा। शारीरिक प्रशिक्षण के अंतर्गत उन्हें इस दौरान पीटी, योगचाप, डंबल, लेजिम, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आदि कई विधाओं में पारंगत एवं स्थानीय अंचल एवं दूरदराज के क्षेत्रों से कुशल प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। सुरेंद्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के प्राचार्य मदन तिवारी ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा विगत 22 वर्षों से प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक और वैज्ञानिक गुण विकसित कर उनकी प्रतिभाओं को निखारने का सराहनीय काम किया जा रहा है। शिविर संयोजक अशोक तिवारी ने बताया कि शिविर में लगभग 200 बालक-बालिका अपनी रुचि अनुसार विविध कलाओं का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। शिविर में समाज के सभी वर्गों के बालक बालिकाएं एक साथ रहकर सहजीवन का अभ्यास करेंगे। शिविराधिकारी के रूप में समाज शिल्पी वीरेंद्र चतुर्वेदी ने राष्ट्रऋषि नानाजी को याद करते हुये शिविरार्थी बच्चों को बताया कि नानाजी अपने प्रत्येक कार्य को परिपूर्णता के साथ करते थे। यह गुण हम सबके अन्दर भी होना चाहिए।