झाबुआ बसंत कॉलोनी स्थित राजपूत भवन पर राजपूत समाज ने महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया और उनके द्वारा किए गए शौर्य और पराक्रम को अपने जीवन में अपनाकर और उनके पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
रानी दुर्गावती हमारे देश की वो वीरांगना है, जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर तीन बार मुगल सेना को हराया था इतना ही नहीं रानी दुर्गावती ने मुगल शासक अकबर के आगे कभी घुटने नहीं टेके थे। अपने अंतिम समय में मुगलों के सामने घुटने टेकने की जगह उन्होंने अपनी कटार खुद के प्राण न्योछावर कर दिए और वीरगति को प्राप्त हो गई उनके इस बलीदान के कारण ही लोग उनका सम्मान करते हैं। वे बहुत ही बहादुर और साहसी महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य संभाला बल्कि राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी. हमारे देश के इतिहास की बात की जाये तो बहादुरी और वीरता में कई राजाओं के नाम सामने आते है, लेकिन इतिहास में एक शक्सियत ऐसी भी है जोकि अपने पराक्रम के लिए जानी जाती है वे हैं रानी दुर्गावती. रानी दुर्गावती अपने पति की मृत्यु के बाद गोंडवाना राज्य की उत्तराधिकारी बनीं, और उन्होंने लगभग 15 साल तक गोंडवाना में शासन किया।
रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर समाज के अध्यक्ष भैरू सिंह सोलंकी उपाध्यक्ष रविराज सिंह राठौड़, अशोक राठौर, राघवेंद्र सिंह सिसोदिया, संजय सिकरवार, विक्रम चौहान, श्रीमती अर्चना राठौर अन्य समाज जन उपस्थित थे