उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मऊ तहसील व थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत औंझर में, बदाई कोल निवासी है । जिसकी ससुराल चमरौहा मानिकपुर है, बदाई कोल के ससुराल में कोई नहीं था । बदाई के सास के पास जब कोई सन्तान न बचा तो, सुखवन्ती देवी अपने दामाद के साथ गांव औंझर में घर में आकर रहने लगी । असहाय व गरीब होने के कारण, सुखवन्ती देवी को औंझर ग्राम के पूर्व प्रधान गिरीश चंद्र बाबू ने, 5 बीघा 5 बिस्वा का पट्टा सुखवन्ती देवी के नाम कर दिया, और सुखवन्ती देवी और उसके दमाद बदाई उस पट्टे की खेती में कमाई करने लगे। लेकिन जैसे ही सुखवन्ती देवी की मृत्यु होती है तो, गांव की ही 2 चालबाज औरतें सुरतिया पत्नी चुनकावन व रजकुमरिया पत्नी गंगा फर्जी तरीके से, उस 5 बीघा 5 बिस्वा जमीन को अपने नाम दर्ज करा लेती हैं, जबकि इसका जमीन का असली हकदार बधाई कोलवा उसकी पत्नी जलुरिया देवी हैं. जो सुखवन्ती की बेटी भी लगती है. बदाई कोल के 3 पुत्र हैं, व दों पुत्री है, जो ससुराल चली गई हैं. कई वर्षों से बधाई कोल वह उसके बच्चे अपने नानी सुखवन्ती की जमीन के पट्टा के कागजात ओरिजिनल दिखा रहे हैं। और बधाई कोल के परिवार रजिस्टर में भी ग्राम के दोनों जालसाज औरतों का कोई नामोनिशान नहीं है। पीड़ित परिवार की शिकायत पर दोनों चालाक औरतों के पति, इसी जालसाजी मे 8 माह के लिए जेल में भी समय काट चुके हैं. इसी मामले में पीड़ित परिवार आज कोर्ट से आस लगाए बैठा है कि, हमें न्याय मिलेगा और हमारा शेयर हमको मिलेगा। विपक्षी राजकुमारियां पत्नी गंगा का कहना है कि, हमारे ससुर लच्छू ने जमीन बैनामा करके खरीदा है । लच्छू के पास 6 लड़के हैं, मात्र एक बहू को कैसे जमीन खरीदा कहां से पैसे से खरीदा जवाब नहीं दिया. यह जमीन लिखाई गई होती तो, लच्छू के लड़के इस पट्टे की जमीन खरीद में भी हिस्सा लेते. लेकिन पट्टे की जमीन किस स्तर पर बिकती है हड़ताल पर मालूम हुआ कि, इस जमीन को जलुलिया देवी पन्ति बधाई कोल के लड़कों को ही मिलना चाहिए।