आखिर क्या दिया सरकार ने सिहोरा को-आंचलिक ख़बरें- रमेश कुमार पाण्डे

Aanchalik Khabre
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सिहोरा जिला आंदोलन का 61 वाँ रविवार

जिला जबलपुर – अगर आप सिहोरा को देखे तो न तो यहाँ केंद्रीय विद्यालय है,न महिला महाविद्यालय,न ही अच्छा अस्पताल और न ही आई टी आई सहित कोई व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थान,आखिर जिस सरकार को सिहोरावासियों ने लगातार 18 वर्षो से सत्ता सौंपी उसने सिहोरा को क्या दिया?लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति सिहोरा ने सिहोरा को जिला बनाने की मांग पर चल रहे धरने के 61 वें रविवार यह प्रश्न सरकार से पूँछा।समिति ने सरकार को केवल वोट बैंक की खातिर उपयोग करने की निंदा की।
पांच साल से नही खुला केंद्रीय विद्यालय:- लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के सदस्य नागेंद्र क़ुररिया,राजभान मिश्रा जी ने बताया कि वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने सिहोरा में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना करने हेतु स्थान की मांग की थी परंतु पाँच वर्ष गुजर जाने के बाद भी सिहोरा में प्रशासन इस हेतु प्रक्रिया ही पूर्ण नही कर सका है।
ITI कहाँ गया:- म प्र की विधानसभा सदन में सिहोरा में ITI केंद्र खोले जाने की घोषणा मंत्री ने स्वयं की थी।पर वह ITI सिहोरा की बजाय कुंडम में खुल गई।बाद में यह प्रचारित किया गया कि सिहोरा में ITI खुलने का प्रस्ताव कैबिनेट में है पर दर्जनों कैबिनेट के बाद भी कुछ न हुआ।सिहोरावासी आज भी पूंछ रहे उनकी ITI कहाँ गई?
इसके साथ ही आंदोलनकारियों ने अस्पताल की अव्यवस्था और महिला महाविद्यालय की आवश्यकता संबंधी बातें भी धरने में उठाई।समिति ने अपने 61 वें धरने में पुनः संकल्प दोहराया कि जब तक सिहोरा जिला नही बन जाता आंदोलन जारी रहेगा।
धरने के 61 वें रविवार धरने में मदन सोनी,अनिल क़ुररिया,अजय विश्वकर्मा, जुगल पटेल,गौरीहर राजें,सुभाष कुमार,मुकेश दीक्षित,रमेश परौहा,सुरेंद्र चौहान,सुखदेव कौरव,रामलाल यादव,विकास दुबे,अनिल जैन,अमित बक्शी,रामजी शुक्ला,सुशील जैन,रामजी शुक्ला,नत्थू पटेल,मानस तिवारी,पन्नालाल,गुड्डू कटैहा,कृष्णकांत विश्वकर्मा सहित अनेक सिहोरावासी मौजूद रहे।

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