ठंड के मौसम में अस्थमा बीमारी से पीड़ित पेशेन्टों की संख्या में इजाफा होने लगा है। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 24 घंटे में 20 से 25 लोग अस्थमा (सांस फूलने) को शिकायत के बाद इलाज कराने पहुंच रहे हैं। हर दिन 5 से 7 लोगों को मेडिसिन वार्ड के साथ आईसीयू में भर्ती भी किया जा रहा है। भर्ती मरीजों में अधिक संख्या 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुगों की रहती है। इसके अलावा कम उम्र के बच्चे भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर आशीष गर्ग बताते हैं कि तेज ठंड की शुरुआत के साथ ही अस्थमा बढते लगता है जो लोग बीमारी से पीड़ित रहते हैं, जरा सी भी लापरवाही में उनकी सांस फूलने लगती है। समय से इलाज न कराने पर भर्ती कराने की नौबत आ जाती है।
घट जाता है ऑक्सीजन लेवल
डॉक्टर बताते हैं कि अगर अस्थमा के इलाज में लापरवाही नहीं की जाए तो मरीजों को खतरा नहीं रहता। लेकिन समय से इलाज न कराने पर जान भी जोखिम में पड़ सकती है। बताया गया है कि सांस फूलने के बाद शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटने लगता है। इस कंडीशन में अगर समय से पेशेन्ट अस्पताल नहीं पहुंचता तो जान जाने का खतरा भी रहता है। चिकित्सक बताते हैं कि आमतौर पर तकलीफ के बाद लोग एक-दो दिन घर में ही इलाज करते हैं, जो खतरनाक होता है। राहत को बात यह है कि ठंड से बचाव करने अस्थमा से होने वाली तकलीफों से बचा जा सकता है। इसके बाद भी अगर समस्या होती है तो बगैर विलंब किए डॉक्टरों के पास जाना चाहिए।
अस्थमा के अटैक का खतर हर दिन भर्ती हो रहे 5 मरीज-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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