जो विषम परिस्थितियों से नहीं घबराते, वहीं जीवन के उद्देश्य को पूर्ण करते हैं। कमल दास वेदांती-आंचलिक ख़बरें-भैयालाल धाकड़

Aanchalik Khabre
4 Min Read
WhatsApp Image 2022 12 11 at 8.59.35 PM

 

विदिशा// वेदांत आश्रम जीवाजी पुर बासौदा में चल रही एकादश दिवसीय लक्ष्मी नारायण महायज्ञ व श्री राम कथा के अष्टम दिवस में जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य डा स्वामी राम कमल दास वेदांती महाराज ने मानव जीवन में भगवान श्रीराम के आदर्शों को उतारने की बात कही ।उन्होंने कहा कि जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी घबराते नहीं है वस्तुतः वही जीवन के उद्देश्य को पूर्ण कर पाते हैं भगवान श्रीराम ने अपने माता-पिता की आज्ञा शिरोधार्य कर वन में प्रस्थान किया। यदि भाई हो तो लक्ष्मण की तरह जिसने अपने घर परिवार को छोड़कर अपने भाई के साथ वन गमन किया। आज सास और बहू के रिश्तो में वह मिठास नहीं दिखाई पड़ती जो कौशल्या और सीता जी में थी। सीता जी ने श्री राम के साथ वन गमन कर आदर्श पत्नी के चरित्र को निबाह किया।उनकी सास कौशल्या ने अपनी बहू सीता को वन जाने से रोकने के बड़े प्रयत्न किए किंतु आदर्श पत्नी मां सीता जी ने भगवान राम के साथ वन गमन किया । आज की बेटियों में शैक्षिक स्तर का विकास तो हुआ है किंतु परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने की क्षमता का ह्रास हुआ है। बेटियों को चाहिए कि वे अपने सास-ससुर व ससुराल के सभी रिश्तो में अपने परिवार को देखें तो निश्चित रूप से हिंदू संस्कृति के साथ-साथ भारत और भारतीयता दोनों की रक्षा की जा सकती है।
कौशल्या ने अपने बेटे राम को बन जाते हुए देख कर कहा कि यदि मेरी प्राण प्रिया वधू सीता घर में ही रुक जाए तो मैं अपने बेटे राम के वनगमन को सह लूंगी। क्योंकि मुझे अपनी बहू सीता में अपने पुत्र राम की झलक नजर आती है । कौशल्या जी ने कहा कि मुझे ईश्वर ने सब कुछ दिया है किंतु एक पुत्री को प्राप्त करने की सुख से मैं वंचित रही हूं ।वह पुत्री का सुख मुझे अपनी बहू सीता ने दिया है ।
रामायण के यह आदर्श पात्र परिवार को संभाल कर रखने की प्रेरणा देते हैं एक ओर व्यक्ति को श्रेष्ठ आचरण पथ पर चलने की प्रेरणा देती है वहीं दूसरी और रामायण से हमें अपने परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने की प्रेरणा भी प्राप्त होती है। यदि हमारे परिवार एक सूत्र में बंधे हो तो हमारे समाज की उन्नति को कोई रोक नहीं सकता । व्यक्ति से परिवार, परिवारों से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है भारत के निर्माण में रामकथा का अप्रतिम योगदान रहा है ,आज सत्संग में बच्चों का कम आना ही देश में चारित्रिक ह्रास का कारण है जिसके कारण आए दिन चरित्र हीनता की घटनाएं बढ़ी है ।
आज मंच में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए विद्वानों ने रामकथा व स्वामी वेदांती जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। भोपाल रामानंद संस्कृत महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक पंडित श्रीकांत शास्त्री जी ने बताया कि उन्हें जगद्गुरु स्वामी वेदांती जी के सहपाठी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है मैंने उनकी विद्यार्थी जीवन से काफी प्रेरणा लिया है ।उन्हें बचपन में ही रामचरितमानस कथा भागवत गीता कंठस्थ थी। वह छात्र जीवन में भी श्री राम कथा में ही डूबे रहते थे उनके मुख से निकलने वाली चौपाइयों के मधुर ध्वनि हमारे कालेज को अलंकृत करती थी
पंडित शालिग्राम शास्त्री जी ने स्वामी श्री वेदांती जी के व्यक्तित्व के संदर्भ में विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके द्वारा स्थापित संस्कृत विद्यालय वाराणसी, वृंदावन, बासौदा के संस्कृत विद्यालय के स्थापना किया जिससे देश में संस्कृति का उत्थान हुआ। गंजबासौदा में संस्कृत विद्यालय की स्थापना करके उन्होंने गंजबासौदा के नाम को विश्व स्तर पर प्रसारित किया है।

Share This Article
Leave a Comment