राजेंद्र राठौर
रात 12:00 बजे बाद से ही शुरू हो जाती है पूजा
महिलाएं शीतला सप्तमी पर्व की कई दिन पहले से शुरू कर देती है तैयारीया
शीतला सप्तमी के 1 दिन पहले बनाए जाते हैं पकवान
शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन करने की है मान्यता
शीतला सप्तमी पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है। होलिका दहन के सातवें दिन मनाया जाता है सातम का त्यौहार, शीतला सप्तमी पर रितु का अंतिम बासी भोजन किया जाता है।
हमारे जीवन में संताप और ताप से हम बचे रहें और शांति और शीतलता बनी रहे इस कामना से मां शीतला की पूजा की जाती है।
माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। महिलाएं परिवार की खुशहाली और शांति की कामना के लिए पूजा करती है।
इस त्यौहार पर बासी भोजन करने की परंपरा के पीछे का तर्क है की शीतला सप्तमी पर वसंत ऋतु बीत रही होती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है तो इस त्यौहार पर अंतिम बार बासी भोजन किया जाता है। क्योंकि गर्मी के दिनों में भोजन जल्दी ही दूषित हो जाता है इसलिए बासी भोजन नहीं करना चाहिए। शीतला सप्तमी पर्व हमें ही सिखाता है जीवन में निरोगी काया और शीतलता कितने महत्वपूर्ण है।
महिलाएं रात 12:00 बजे के बाद से ही माता की पूजा करने जाने लग जाती है शीतला माता को बाजरा, जो, चने और अन्न उबालकर भोग लगाती है। माता को अन्न से बने हुए पकवान चढ़ाए जाते हैं। माता का पानी, दूध, दही से स्नान कराया जाता है। इसके पीछे मान्यता यही है की गर्मी के दिनों में खानपान में विशेष ध्यान रखा जाए और शीतलता देने वाली चीजों का उपयोग ज्यादा किया जाए। बासी भोजन नहीं किया जाए।
शीतला माता को स्कंद पुराण में हाथ में कलश, झाड़ू ,नीम के पत्ते धारण किए हुए चित्रित किया गया है। शीतला माता स्वच्छता, शीतलता और समृद्धि का रूप भी मानी जाती है। घर में शीतलता और स्वच्छता रहने से घर में समृद्धि भी बनी रहती है।
शीतला माता के व्रत करने से रोग चेचक फोड़े फुंसी इत्यादि रोगों से छुटकारा मिल जाता है। माताएं अपने बच्चों के स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
माता के उपासक शीतला सप्तमी पर माता के आशीर्वाद की कामना से इस दिन को मनाते हैं। मान्यता के अनुसार निरोगी जीवन की प्राप्ति के लिए की गई पूजा और व्रत को सबसे अच्छा माना जाता है चेचक और छोटी माता जैसे रोगों से मुक्ति पाने के लिए विशेष अनुष्ठानों के साथ उनका पूजन किया जाता है सप्तमी के दिन की गई पूजा से अत्यंत शीघ्र ही फल की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए इस दिन को रोग की मुक्ति पाने की कामना से भी बनाया जाता है। शीतला माता की आराधना पूरा परिवार मिलकर करता है घर परिवार में सभी सुख शांति से रहे निरोगी रहे घर में खुशहाली रहे इसके लिए सभी शीतला माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं हिंदू धर्म में हर त्यौहार का अपना अलग महत्व होता है।